GWALIOR. चम्बल और ग्वालियर अंचल में लोगों का हथियारों से प्रेम कोई नया नहीं है। इस अंचल में एक लाख से ज्यादा तो लाइसेंसी हथियार हैं लेकिन इसके बावजूद गैर कानूनी हथियारों का बड़ा कारोबार इस अंचल में होता है। पुलिस से बचने के लिए यह हथियार तस्कर नए - नए तरीके अपना रहे है। हाल ही में पुलिस गए इन तस्करों से पूछताछ में इनके द्वारा अपनाये जाने वाले नए ही तरीके का खुलासा हुआ कि वे लोग अब सारी डीलिंग वॉट्सऐप के जरिए करते है ताकि पुलिस उन पर निगाह न रख सके।
पांच पिस्टल के साथ पकड़ा तस्कर
ग्वालियर पुलिस ने हथियार तस्कर को उपनगर ग्वालियर से पांच पिस्टल के साथ पकड़ा है। वह खरगोन और बुरहानपुर के बड़े सप्लायरों के संपर्क में था। उन्हें वॉट्सऐप के जरिए पिस्टल के आर्डर देता है। ग्वालियर और आसपास के बदमाशों से ऑर्डर लेकर वह पिस्टल बनवाता है। इसके बाद इन्हें ग्वालियर मंगवाकर बेचता है। तस्कर ने यह भी बताया कि वह पांच से सात हजार रुपए कमीशन पर काम करता है। उसे एक पिस्टल पर पांच से सात हजार रुपए का कमीशन मिलता है।
ऐसे लिया गया एक्शन
दरअसल, ग्वालियर स्थित लधेड़ी के पास अवैध हथियार की डील होने की सूचना पुलिस मिली थी। इसके बाद पड़ताल के लिए एएसपी अभिनव चौकसे ने ग्वालियर थाने की टीम को टास्क दिया। जिसके बाद टीम ने 19 अगस्त की रात को घेराबंदी की और तस्कर को पकड़ लिया। उसका थैला देखा तो उसमें पांच पिस्टल रखी हुई मिली। इसके बाद उसे थाने लाकर पूछताछ की तो उसने अपना नाम नवीन गायकवाड़ निवासी फर्श वाली गली, माधोगंज (ग्वालियर) बताया। पूछताछ में उसने यह भी बताया कि वह पिस्टल बेचने के लिए यहां आया था। आरोपी पर आर्म्स एक्ट के तहत FIR दर्ज की गई है। उसने पूछताछ में पुलिस को बताया कि वह तो महज बिचौलिया है और वह कमीशन पर पिस्टल खरीदनेे - बेचने का काम करता है। उसने बताया कि यह सारा माल खरगोन से तैयार होकर आता है। पूछताछ में उसने खरगोन, बुरहानपुर के तीन सप्लायरों के नाम बताए हैं, जिनसे वह पिस्टल बनवाकर मंगवाता था। वह 10 से 15 हजार में पिस्टल बनवाता था और यहां 20 से 35 हजार रुपए तक अलग अलग राज्यों में बेचता है। पिस्टल की क्वालिटी पर उसका दाम तय होता है। यह आर्डर देकर ही बनवाता है और इस तक एक एजेंट पिस्टल पहुंचाता है। फिलहाल आरोपी से पूछताछ जारी है।
एडिशनल एसपी अभिनव चौकसे ने बताया कि आरोपी से पूछताछ जारी है जिसमें सबसे चौंकाने वाला तथ्य ये आया कि यह तस्कर अपने पोरे कारोबार को सोशल प्लेटफार्म पर ले गए हैं और वॉट्सऐप के जरिए ही पूरी बात करते है ताकि इसको रिकॉर्ड न किया जा सके और पुलिस भी इसे जम्प न कर सके