NEW DELHI: 1 जुलाई 2022 से केंद्र सरकार नए लेबर कोड ला रही है। इन नियमों के लागू होने पर वर्कर्स को दिन में 12 घंटों तक काम करना पड़ सकता है। जबकि हफ्ते में 48 घंटे ही काम करना होगा। ऐसा होने पर कर्मचारी हर हफ्ते 4 दिन ही काम करेंगे। 44 सेंट्रल लेबर एक्ट को लेकर 4 नए लेबर कोड बनाए हैं। अब कई कंपनियां इन लेबर कोड्स को एडॉप्ट करने की तैयारी कर रही हैं। जानिए क्या होंगे ये 4 लेबर कोड और उनकी सुविधाएं?
सोशल सिक्योरिटी कोड (Social security code)
सोशल सिक्योरिटी कोड के तहत कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की सुविधाएं बढ़ाई गईं हैं। इस कोड के जारी होने पर अनऑर्गनाईज्ड सेक्टर में काम कर रहे वर्कर्स, गिग्स वर्कर्स, प्लेटफॉर्म वर्कर्स को ESIC की सुविधा दी जाएगी। साथ ही किसी भी वर्कर को ग्रेच्युटी के लिए 5 साल तक वेट नहीं करना पड़ेगा। साथ ही बेसिक सैलरी कुल वेतन का 50% या उससे ज्याद होगा। बेसिक सैलरी कुल वेतन बढ़ने से वर्कर्स का पीएफ और ग्रेच्युटी से ज्यादा पैसा कटेगा और उनके वेतन का स्ट्रक्चर भी चेंज हो जाएगा। किसी भी कर्मचारी का पीएफ उसके बेसिक सैलरी पर बेस्ड होता है। पीएफ बढ़ने पर हाथ में आने वाली सैलरी कम हो जाएगी।
ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ ऐंड वर्किंग कंडीशन कोड
इस कोड में लीव पॉलिसी (Leave policy) और सेफ एनवायरमेंट (safe environment) बनाने की कोशिश की है। इस कोड के पारित होने से 240 को घटा कर 180 दिन काम करने के बाद लेबर लीव के हकदार होंगे।
साथ ही वर्कप्लेस पर यदि किसी लेबर को चोट आती है तो उसे मनीमम 50% का कम्पेनसेशन मिलेगा। इस कोड के तगत 1 वीक में ज्यादा से ज्याद 48 घंटे काम करने का प्रावधान है। 12 घंटे की शिफ्ट में काम करने वालों को हफ्ते में 4 दिन काम करने की छूट होगी। वहीं 10 घंटे की शिफ्ट वाले वर्कर्स को 5 दिन और 8 घंटे की शिफ्ट वालों को वीक में 6 दिन काम करना होगा।
इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड
इस कोड के तहत कंपनियों से जुड़ी सुविधाओं के प्रावधान आएंगे। इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड के चलते कंपनियों को भी काफी छूट दी गई। नए कोड के पास होने से कंपनियां जिनके वर्कर्स की संख्या 300 से कम है वे सरकार की मंजूरी के बिना छंटनी कर सकेंगी। 2019 में इस कोड में वर्कर्स की लिमिट 100 रखी गई थी, जिसे 2020 में बढ़ाकर 300 कर दिया गया।
वेज कोड (wage code)
इस कोड में देश भर के मजदूरों को मिनिमम मजदूरी देने का प्रोविजन है। इस कोड के तहत गवर्नमेंट पूरे देश के लिए कम से कम मजदूरी तय करेगी। सरकार का मानना है कि इस कोड के चलते देश के 50 करोड़ कर्मचारियों को टाईम पर और फिक्स मजदूरी मिलेगी। सरकार ने इस कोड को 2019 में ही पास कर दिया था।