BHOPAL. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कान्हा नेशनल पार्क, बांधवगढ़ नेशनल पार्क, पेंच नेशनल पार्क, पन्ना टाइगर रिजर्व और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में नाइट सफारी (Night Safari) बंद नहीं की जाएगी। इस संबंध में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस (Chief Secretary Iqbal Singh Bais) ने एनटीसीए (NTCA) के एडिशन डायरेक्टर जनरल प्रोजेक्ट टाइगर को पत्र लिखकर साफा किया है कि मध्यप्रदेश के टाईगर रिजर्व में नाइट सफारी को बंद नहीं किया जाएगा। पत्र में उन्होंने तर्क दिए हैं कि टाइगर रिजर्व के बफर जोन में ग्रामीणों की बसाहट है। ऐसे में देर रात तक आवागमन बना रहता है। इसलिए इन क्षेत्रों में नाइट सफारी शुरू होने से वन्य जीवों के प्राकृतिक रहवास में कोई खलल पड़ने का सवाल ही नहीं उठता है। इस लिहाज से वन्य प्राणी एक्ट का भी उल्लंघन नहीं हो रहा है। पत्र में एनटीसीए के उस पत्र का भी हवाला दिया गया, जिसमें एनटीसीए ने बफर जोन में टूरिज्म एक्टिविटी बढ़ाने को कहा था। इस आधार पर कहा गया है कि बफर में नाइट सफारी से टूरिज्म एक्टिविटी बढ़ने से स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त हो रहे हैं।
नाइट सफारी तुरंत बंद करें- एनटीसीए
उल्लेखनीय है कि एनटीसीए ( National Tiger Conservation Authority) ने वन विभाग को पत्र लिखकर कहा था कि नाइट सफारी तुरंत बंद करें। इससे उस क्षेत्र के वन्यजीवों को प्राकृतिक जीवन जीने में दिक्कत होती है, जो उनके लिए नुकसानदायक है। वन्य प्राणी मुख्यालय ने इस संबंध में एनटीसीए से पत्राचार कर, उन्हें समझाने का प्रयास किया था। लेकिन एनटीसीए अपनी बात पर अड़ा हुआ था। मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस ने इसमें हस्तक्षेप करते हुए एनटीसीए को पत्र लिखा है। वन विभाग ने नवंबर 2020 से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बफर जोन नाइट सफारी योजना शुरू की थी। ये प्रयोग सफल होने के बाद टूरिस्ट की डिमांड पर नाइट सफारी अन्य जगह शुरू की गई, जो शाम सात से रात 10 बजे तक की जाती है। रात में गाड़ियों की संख्या सीमित (आठ से 10) ही रखी जाती है। एनटीसीए के अधिकारियों ने इसे गलत माना है। उन्होंने वन्यजीवों की सेहत को ध्यान में रखते हुए नाइट सफारी बंद करने को कहा है।
नाइट सफारी से वन्यजीवों के क्षेत्र में शोर होता है
एनटीसीए का कहना है कि नाइट सफारी से वन्यजीवों के क्षेत्र में शोर होता है। साथ ही वाहनों की लाइट से भी वे परेशान होते हैं। इसका असर उनके जीवन पर पड़ता है। एनसीटीए ने दूसरा पत्र लिखा भी है। इसमें कहा है कि पार्कों के मैनेजमेंट प्लान और एनटीसीए से दिए गए दिशा-निर्देशों में नाइट सफारी की व्यवस्था नहीं है। विभाग के अधिकारियों ने इसका भी तर्क दिया था कि ऐसे तो कोर एरिया में सफारी का भी प्रविधान नहीं है। फिर भी कराई जा रही है। मचान का प्रविधान नहीं है लेकिन बनाए गए हैं।