/sootr/media/post_banners/253e49ce870ce59914237e21e5e557481ddb00cbf054960ac56bc24345108f7c.jpeg)
डॉ. राकेश पाठक BHOPAL. मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो पालपुर नेशनल पार्क में 17 सितंबर को 8 चीते आ गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन चीतों को कूनो में छोड़ा। (श्योपुर) के जंगलों में नामीबिया से आने वाले चीते छोड़े जा रहे हैं। इस बीच एक राजनीतिक दल ने पोस्टर जारी किया, जिसमें दावा किया गया कि फिर सुनाई देगी चीतों की दहाड़। तमाम चैनल और अखबार भी चीतों की दहाड़ का राग अलाप रहे हैं।
सच ये है कि चीता दहाड़ता नहीं है। वह सिर्फ घुरघुराता (गुर्राना नहीं) है। अंग्रेजी में उसके इस स्वर को Purr कहते हैं। चीते के आवाज करने को Purring कहा जाता है। चीता बिल्ली की प्रजाति का जानवर है। इसके घुराघुराने को 'म्याऊं' करना भी माना जाता है।
UPA सरकार ने की थी पहल, लेकिन...
चीतों को लाने की पहल 2009 में तत्कालीन UPA सरकार ने की थी। अफ्रीकन चीतों को लाने के प्रस्ताव को 2010 में मनमोहन सिंह की सरकार ने मंजूरी भी दे दी थी। तब वन, पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश खुद इस मिशन पर अफ्रीका गए थे और चीता देखा था। इसके बाद 2011 में 50 करोड़ रु. चीतों के लिए आवंटित हुए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से प्रोजेक्ट चीता पर रोक लग गई।
'प्रोजेक्ट चीता' का प्रस्ताव 2008-09 में तैयार हुआ।
मनमोहन सिंह जी की सरकार ने इसे स्वीकृति दी।
अप्रैल 2010 में तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री @Jairam_Ramesh जी अफ्रीका के चीता आउट रीच सेंटर गए।
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट पर रोक लगाई, 2020 में रोक हटी।
अब चीते आएंगे pic.twitter.com/W1oBZ950Pz
— Congress (@INCIndia) September 16, 2022
74 साल पहले अविभाजित मध्य प्रदेश में था चीता
छत्तीसगढ़ की कोरिया रियासत (आज कोरिया जिला, तब अविभाजित मध्य प्रदेश) के राजा रामानुज प्रताप सिंह को शिकार का बेहद शौक था। शौक ऐसा था कि राजा अपनी रियासत छोड़कर दूसरी रियासतों में भी वन्य जीवों के शिकार के लिए जाते थे। कोरिया जिले के रामगढ़ के जंगलों में भी चीते थे। माना जाता है कि 1947 तक मात्र इसी जंगल में चीते बचे थे। इनकी संख्या तीन थी। इनमें एक मादा और दो शावक थे। इन तीनों चीतों का राजा रामानुज प्रताप सिंह ने 1948 में ही शिकार कर लिया। इसके बाद देश में चीतों का अस्तित्व खत्म हो गया। इसके बाद जब देश में कहीं भी चीतों के मिलने के सबूत नहीं मिले तो 1952 में भारत में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया।
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us