भोपाल. प्रदेश की सभी यूनिवर्सिटी और इनसे संबंधित कॉलेज स्टूडेंट अपनी परीक्षाओं की उत्तरपुस्तिकाएं (आंसरशीट) की प्रमाणित प्रतियां सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत हासिल कर सकेंगे। सूचना आयोग ने उच्च शिक्षा विभाग (Higher Education Department) के प्रमुख सचिव (Principal Secretary) को निर्देश दिया है कि यदि कोई भी स्टूडेंट परीक्षा की आंसरशीट की प्रमाणित प्रति के लिए आरटीआई लगाता है तो उसे 30 दिन के भीतर उपलब्ध कराई जाए। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने यह निर्देश अवधेश प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी रीवा के छात्र कुंदनलाल गुप्ता (Kundanlal Gupta) की आरटीआई पर दिया है।
नियम पहले भी था, पर मानते नहीं थे
आरटीआई के तहत आंसरशीट की प्रमाणित प्रति उपलब्ध कराने का नियम पहले से लागू था, लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन किसी ना किसी बहाने की आड़ लेकर इसे नहीं मानता था। कुंदनलाल गुप्ता ने अवधेश प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी से जून 2020 में हुई एमएससी केमिस्ट्री (फोर्थ सेमेस्टर) परीक्षा की सभी उत्तरपुस्तिका की प्रति मांगी थी, जो उन्हें निर्धारित समय पर नहीं मिली। इसके बाद मामला राज्य सूचना आयोग पहुंचा। मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने सभी सरकारी और प्राइवेट यूनिवर्सिटी को सूचना का अधिकार अधिनियम के अधीन लोक प्राधिकारी मानते हुए उत्तर पुस्तिकाओं की प्रमाणित प्रतियां उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।
सूचना आयुक्त (Information Commissioner) ने उच्च शिक्षा विभाग (Department of Higher Education) के प्रमुख सचिव को निर्देशित किया है कि यदि छात्र अपनी उत्तर पुस्तिकाओं की प्रमाणित प्रति के लिए आरटीआई दायर करते हैं तो उन्हें 30 दिन के भीतर प्रमाणित प्रतियां उपलब्ध कराई जाएं। उन्होंने अपने आदेश में लिखा कि आयोग के संज्ञान में आया है कि आरटीआई के नियम के विपरीत कई यूनिवर्सिटी छात्रों को उत्तर पुस्तिकाओं की प्रमाणित प्रति नहीं दे रही हैं। राहुल सिंह (Rahul Singh) ने प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को इस बारे में प्राइवेट यूनिवर्सिटी विनियामक आयोग को भी इस मामले में आदेश जारी करने को कहा है।
याचिका पर फैसले तक नष्ट नहीं की जा सकती आंसरशीट
आदेश में कहा गया कि कई बार उत्तर पुस्तिकाओं को आरटीआई दायरे में आने के बावजूद समय सीमा में दस्तावेज विनष्टीकरण नियम (Document Disinfection Rules) के तहत नष्ट कर दिया जाता है। यह स्पष्टरूप से सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट (Supreme Court and High Court) के निर्णय के अलावा यह सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का भी उल्लंघन है। सूचना आयुक्त ने आदेश में यह भी कहा कि जब तक आरटीआई के मामले में दायर याचिका पर निर्णय न हो जाए तब तक उत्तरपुस्तिकाओं को नष्ट नहीं किया जाना चाहिए।
प्राइवेट यूनिवर्सिटी आनाकानी करें तो नियम बताएं
आमतौर पर ये देखने में आया है कि प्राइवेट यूनिवर्सिटी का मैनेजमेंट खुद को आरटीआई अधिनियम के दायरे से बाहर मानता है, लेकिन कानूनी रूप से उनका तर्क सही नहीं है।
तर्क 1- कई प्राइवेट यूनिवर्सिटी पब्लिक प्रॉपर्टी (Public Property) नहीं होने का हवाला देकर आरटीआई के नियमों का पालन करने से बचने की कोशिश करती हैं। वे आंसरशीट की प्रमाणित प्रति देने की जगह सिर्फ अवलोकन कराती हैं।
क्या कहती है आरटीआई की धारा 2- केंद्र या राज्य सरकार (Central or State Govt.) के किसी भी अधिनियम द्वारा गठित संस्था या ऐसी कोई भी संस्था जिसे सरकार से लीज पर जमीन मिली हो, उन्हें किसी भी तरह का अनुदान मिल रहा हो, चाहे वह न्यूनतम ही क्यों न हो, वे आरटीआई के दायरे में आएंगी। मतलब प्राइवेट यूनिवर्सिटी (Private University) या कॉलेज (College) सिर्फ निजी संस्था होने का हवाला देकर आरटीआई के दायरे से बाहर नहीं हो सकते।
तर्क 2- कई प्राइवेट यूनिवर्सिटी अपने नियम खुद बनाने की स्वतंत्रता का हवाला देकर आंसरशीट की कॉपी देने पर निर्धारित दर से ज्यादा पैसे वसूलती हैं।
आरटीआई की धारा 22- यह बात सही है कि यूनिवर्सिटी को अपने नियम बनाने की स्वतंत्रता है। इसका मतलब यह कतई नहीं है कि यूनिवर्सिटी के नियम, प्रक्रिया सूचना के अधिकार अधिनियम (Right to Information Act) के दायरे से बाहर हो जाएंगे। इसके अलावा उन्हें आरटीआई (RTI) के तहत मांगी गई सूचना या दस्तावेज प्रति पेज 2 रुपए की दर से ही उपलब्ध कराने होंगे।
आरटीआई से आंसरशीट मिलने पर सामने आई अंकों की गलती
यूनिवर्सिटी (University) से जुड़े कई मामलों में यह देखने में आया है कि स्टूडेंट को परीक्षा की उत्तर पुस्तिका की कॉपी (booklet copy) मिलने के बाद यह गलती सामने आई कि उसमें कम मार्क्स अंकित किए गए थे। इसके कारण छात्र या तो फेल घोषित कर दिया गया या फिर उसकी ग्रेड या रैंक कम हो गई। ऐसे मामलों में आरटीआई के तहत आंसर शीट (answer sheet) हासिल करने के बाद अंकों की गलती सुधारी गई और पूर्व में फेल किए गए छात्र को पास किया गया या उसकी ग्रेड सुधारी गई।