भोपाल. शराब कारोबारी नई शराब नीति (new liquor policy) के विरोध में उतर आए हैं। प्रदेश के 17 जिलों में शराब के ठेकेदारों ने विरोध प्रदर्शन किया। भोपाल में अधिकांश शराब के ठेके बंद रहे। यही हाल प्रदेश के ज्यादातर जिलों का था। अनुमान है कि शराब की दुकानें बंद होने की वजह से सरकार को करीब 5 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। वहीं, 17 फरवरी को आबकारी विभाग के अफसर भोपाल की कुछ शराब दुकानों की चेकिंग करने भी पहुंचे थे। इस दौरान कुछ दुकानों को सील भी कर दिया गया। इसके बाद 18 फरवरी को शराब कारोबारी विरोध में उतर आए।
ये है विरोध की वजह: शराब कारोबारी तीन बिंदुओं पर नीति का विरोध कर रहे हैं। इसमें देशी और अंग्रेजी शराब की दुकाने को एक ही जगह खोलना। इससे बिक्री पर असर पड़ेगा। इसके अलावा ठेकेदारों का मार्जिन भी कम किया गया है। साथ ही माल उठाने पर भी कई पाबंदियां बढ़ा दी है। शराब कारोबारियों ने आरोप लगाया कि नई आबकारी नीति के तहत हमारे ऊपर सरकार यह दबाव बना रही है कि वे दुकानें भी ठेके पर लें जिनका विक्रय और राजस्व कम है। ऐसी दुकानों को भी अधिक दाम पर लेने के लिए आबकारी अधिकारियों का दबाव है।
आबकारी आयुक्त ने ये कहा: शराब कारोबारियों का आरोप है कि शराब के ठेके नीलाम नहीं हो रहे हैं। इसलिए विभाग ठेकेदारों पर दवाब बना रहा है। वहीं, आबकारी आयुक्त राजीव दुबे ने बताया कि सरकार ने पॉलिसी के तहत ठेके के टेंडर जारी किए हैं। इसमें शामिल होने के लिए किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाया जा रहा है, सभी स्वतंत्र है। अब तक 17 जिलों में 700 दुकान पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक रेट पर आवंटित हो गई है।