संजय गुप्ता, INDORE. जबलपुर अग्निकांड के बाद फायर एनओसी और इलेक्ट्रॉनिक ऑडिट के लिए मध्यप्रदेश शासन और मुख्यमंत्री ने सख्ती के निर्देश दिए लेकिन जमीन हकीकत वही ढाक के तीन पात है। इंदौर में 323 नर्सिंग होम और अस्पताल है लेकिन फायर एनओसी सिर्फ 70 के पास ही है। बाकी सब अस्पताल रामभरोसे चल रहे हैं। बचे हुए 250 अस्पतालों में से करीब 60 वो हैं जो आवासीय प्लॉट पर बने हैं और जिन्हें फायर एनओसी देने से नगर निगम पहले ही मना कर चुका है और स्वास्थ्य विभाग को भी पत्र लिख चुका है, कि वे अपने नियमानुसार कार्रवाई करें, हम आवासीय पर ये एनओसी नहीं दे सकते हैं।
सभी के अलग-अलग जवाब
निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने द सूत्र से कहा कि आवासीय प्लॉट पर व्यावसायिक निर्माण, अस्पताल को हम फायर एनओसी नहीं दे सकते हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिख दिया है। शासन को भी पत्र लिखा है। सिविल सर्जन डॉ. प्रदीप गोयल का कहना है कि सवा 300 अस्पताल में कई पुराने बने हुए हैं। इसमें अधिकांश के पास फायर एनओसी नहीं है। इंदौर में करीब 70-75 के पास जो अभी नए बने हैं और बड़े बने हैं, उनके पास ही फायर एनओसी है। टीम लगातार जांच करती है लेकिन कुछ तकनीकी मुद्दे हैं जो शासन से ही हल होंगे।
लगातार हो रही कार्रवाई
सीएमएचओ डॉ. बीएस सैत्या का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक ऑडिट लगातार हो रहा है। कुछ अस्पतालों को नोटिस भी दिया है और कार्रवाई हो रही है। आवासीय वाला मसला अलग है, वह निगम और शासन के माध्यम से दूर होगा।