भोपाल. MP पंचायत चुनाव में OBC आरक्षण पर बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) आमने-सामने हैं। 21 दिसंबर से शुरू हुए विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के मुद्दे पर कई प्रश्न लगाए गए हैं। वहीं कल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वकील विवेक तन्खा (Vivek Tankha) ने CM शिवराज सिंह, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह को मानहानि का नोटिस (Defamation Notice) भेजा है। जिसके बाद बीजेपी विवेक तन्खा को टारगेट कर रही है। ऐसे में अब पूर्व सीएम कमलनाथ (Kamal Nath) तन्खा के समर्थन में उतरे हैं। वहीं, तंखा ने प्रेस वार्ता (Press Conference) की। जिसमें उन्होंने कहा ओबीसी आरक्षण के लिए कांग्रेस ने 1994 में ही दरवाजे खोल दिए थे। कांग्रेस ने ओबीसी को 25 फ़ीसदी आरक्षण दिया था। रोटेशन प्रक्रिया का पालन जनता की भलाई और आरक्षण के लिए बेहद जरूरी है लेकिन बीजेपी उसका पालन नहीं कर रही है।
तन्खा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की
कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा 3 जनवरी को बीजेपी के उन नेताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा ठोकेंगे जिन्होंने OBC आरक्षण पर गलतबयानी की थी। मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव (MP Panchayat Chunav) को लेकर चल रहे सियासी घमासान के बीच विधानसभा में कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा (Vivek Tankha) का नाम गूंजता रहा। वहीं दूसरी तरफ जबलपुर में तन्खा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी पर आरोपों की झड़ी लगा दी।
विवेक तन्खा ने कहा जिस ओबीसी आरक्षण का ढिंढोरा बीजेपी पीट रही है उस ओबीसी आरक्षण के लिए 1994 से ही कांग्रेस ने रास्ते खोल रखे हैं। 1994 में कांग्रेस ने ही पंचायतों में ओबीसी को 25 प्रतिशत आरक्षण दे दिया था। उस दौरान महाधिवक्ता रहते हुए उन्होंने आरक्षण का बचाव किया था। मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण संविधान के मुताबिक ही मिला है। लेकिन बीजेपी संविधान के खिलाफ काम कर रही है।
रोटेशन प्रकिया पर सवाल किए
विवेक तन्खा ने आरोप लगाया मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव रोटेशन के आधार पर ही होने चाहिए। लेकिन बीजेपी ने 1 साल पुराने कांग्रेस शासनकाल में किए गए रोटेशन और परिसीमन को रद्द कर 7 साल पुराने 2014 के नियम के आधार पर चुनाव करा रही है, जो पूरी तरह से असंवैधानिक है।
कांग्रेस ओबीसी हितैषी पार्टी- तंखा
राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने आगे कहा ओबीसी आरक्षण के लिए कांग्रेस ने 1994 में ही दरवाजे खोल दिए थे। कांग्रेस ने ओबीसी को 25 फ़ीसदी आरक्षण दिया था। रोटेशन प्रक्रिया का पालन जनता की भलाई और आरक्षण के लिए बेहद जरूरी है लेकिन बीजेपी उसका पालन नहीं कर रही है। बीजेपी उन पर आरोप लगा रही है कि उनकी वजह से ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है। जबकि हकीकत यह है कि सरकार अपनी बात सुप्रीम कोर्ट के सामने पुख्ता तरीके से नहीं रख पाई। इसका नतीजा यह रहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण पर स्टे लगा दिया।
कमलनाथ ने किया विवेक तंखा का समर्थन
कमलनाथ ने कहा कि ''कांग्रेस हमेशा ओबीसी वर्ग के लिए सोचती थी। जब दिग्विजय सिंह की सरकार थी तब भी हमने ओबीसी के लिए कानून बनाया था, जब हमारी सरकार थी तब हमने ओबीसी वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण का कानून लाया था। लेकिन इस कानून का श्रेय लेने की कोशिश बीजेपी कर रही है। कांग्रेस की सरकार में जब यह कानून पास हो रहा था, तब बीजेपी इसका समर्थन नहीं कर रही थी। लेकिन बाद में इसका श्रेय ले रही है।''
कमलनाथ ने कहा कि पहले तो इस सरकार ने पंचायत चुनाव डेढ़ साल तक टाला, बाद में जब चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू हुई तो न तो रोटेशन की पॉलिसी को फॉलो किया गया और न ही परिसीमन की प्रक्रिया की गई। जबकि संविधान के हिसाब से चुनाव के पहले रोटेशन और परिसमीन की प्रक्रिया होती है। लेकिन यह सरकार ऐसा कर ही नहीं रही थी। जिसके चलते कांग्रेस ने केवल रोटेशन और परिसमीन की प्रक्रिया के लिए याचिका लगाई थी। लेकिन जब आरक्षण का मुद्दा आया तब सरकारी वकीलों ने इसका विरोध क्यों नहीं किया।
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