Dindori. प्रदेश सरकार ने लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने या फिर जिन लोगों को किसी कारणवश अभी तक योजनाओं का लाभ नहीं मिला है उनके निराकरण के लिए जनसेवा शिविर आयोजित किए हैं। लेकिन डिंडोरी में आयोजित एक जनसेवा शिविर में ग्रामीण अधिकारियों के सामने पंचायत सचिव के भ्रष्टाचार का काला चिट्ठा लेकर पहुंच गए और कार्रवाई की मांग कर दी। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि अब भी उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो वे उग्र आंदोलन करने बाध्य हो जाऐंगे।
करंजिया जनपद पंचायत के गोपालपुर का मामला
मामला डिंडोरी जिले के करंजिया जनपद पंचायत की गोपालपुर ग्राम पंचायत का है। जहां पर पंचायत सचिव के तौर पर पदस्थ संदीप माहेश्वरी पहले यहां के रोजगार सहायक थे। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि सचिव जी ने गांव की बेला बाई के नाम से प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत कराया, जबकि बेलाबाई की मौत कई साल पहले हो चुकी है। यही नहीं सचिव ने योजना की राशि के लिए अपनी पत्नी का खाता नंबर डलवा दिया जिसमें कुल 1 लाख 30 हजार रुपए चार किश्तों में डाला गया। ग्रामीणों का आरोप है कि सचिव ने पूरी की पूरी राशि हड़प ली। वहीं बेला बाई के हकदारों को आज तक कुछ नहीं मिला।
कलेक्टर से भी की थी शिकायत
जनसेवा शिविर में हंगामा कर रहे ग्रामीणों अंगद सिंह आर्मो, अरविंद सारीवान, गोवर्धन सारीवान और गजपाल पट्टा ने बताया कि पंचायत सचिव संदीप माहेश्वरी लंबे समय से भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। ग्रामीण शिविर में उस हितग्राही के परिजनों का जॉब कार्ड भी लेकर पहुंचे थे। जिसमें साफ-साफ उल्लेख था कि बेला बाई के नाम स्वीकृत प्रधानमंत्री आवास के लिए 25 हजार की पहली किश्त, 45 हजार की दूसरी, 45 हजार की तीसरी और 15 हजार रुपए की चौथी किश्त का भुगतान किया गया था। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि भ्रष्टाचार में लिप्त सचिव जी की कई मर्तबा कलेक्टर से शिकायत की गई लेकिन अधिकारियों ने इस ओर कभी कोई ध्यान नहीं दिया।
कार्रवाई न होने पर करेंगे आंदोलन
ग्रामीणों ने साफ चेतावनी दी है कि यदि गरीब आदिवासियों के हिस्से का पैसा डकारने वाले पंचायत सचिव पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो अब वे उग्र आंदोलन का रुख अख्तियार करेंगे। वहीं जनसेवा शिविर में मौजूद अधिकारी ग्रामीणों द्वारा लगाए गए आरोपों पर कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए। जिस प्रकार से ग्रामीणों ने लोगों की सुविधा के लिए लगाए गए जनसेवा शिविर का उपयोग अपनी बात रखने के लिए किया है। कहीं ऐसा न हो कि प्रदेश के अन्य जिलों में भी जनसेवा शिविर का इसी तरह उपयोग होने लगे।