हिमांशु अग्रवाल, छतरपुर. मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बदहाली का आलम छतरपुर में देखने को मिला। जहां एक गर्भवती को एंबुलेंस नहीं मिली, जैसे-तैसे वो अस्पताल पहुंची तो वहां इमरजेंसी डॉक्टर और नर्स नदारद थे। नतीजा ये हुआ कि गर्भवती ने अस्पताल के गेट पर ही बच्चे को जन्म दे दिया। इस घटना के बाद छतरपुर की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खुल गई है।
ये है #मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का हाल। छतरपुर में गर्भवती को नहीं मिली एंबुलेंस। अस्पताल से इमरजेंसी डॉक्टर और नर्स नदारद...नतीजा अस्पताल के गेट पर महिला ने बच्चे को दिया जन्म। #MadhyaPradesh @CMMadhyaPradesh @DrPRChoudhary @collchhatarpur #CMHO pic.twitter.com/RZ78f2D0Kl
— TheSootr (@TheSootr) March 31, 2022
गर्भवती को एंबुलेंस नहीं मिली: प्रसूता समीपी गांव के अतनिया की रहने वाली है। जब गर्भवती को प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो परिजन ने एंबुलेंस को फोन किया। लेकिन 2 घंटे के लंबे इंतजार के बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची। वक्त बीतने के साथ गर्भवती का दर्द बढ़ता गया। इसके बाद परिजन निजी वाहन से जैसे-तैसे महिला को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे।
जिला अस्पताल से इमरजेंसी डॉक्टर-नर्स नदारद: गर्भवती के जिला अस्पताल पहुंचने पर पता चलता है कि वहां इमरजेंसी डॉक्टर और नर्स नहीं हैं। गर्भवती को असहनीय प्रसव पीड़ा हो रही थी, लेकिन अस्पताल के किसी भी कर्मचारी ने उसकी मदद नहीं की। गर्भवती दर्द से कराहती रही और परिजन परेशान होते रहे।
अस्पताल के गेट पर दिया बच्चे को जन्म: गर्भवती का दर्द असहनीय हो चुका था, लेकिन उसे जिला अस्पताल से कोई मदद नहीं मिली। नतीजा ये हुआ कि उसने जिला अस्पताल के गेट पर ही बच्चे को जन्म दे दिया। राहत की बात रही कि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं, किसी तरह की कोई अनहोनी नहीं हुई।
CMHO ने की लीपापोती की कोशिश: इस तरह के बेहद की गंभीर मामले पर CMHO लखन लाल तिवारी ने लीपापोती करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि जैसे ही उन्हें इस बात की सूचना मिली। उन्होंने फौरन नर्स को निर्देश देकर महिला और बच्चे को जच्चा-बच्चा वार्ड में शिफ्ट कराया था, जहां उन्हें उचित उपचार दिया गया। वहीं एंबुलेंस के वक्त पर नहीं पहुंचने का ठीकरा CMHO ने आशा कार्यकर्ता पर फोड़ दिया। उन्होंने कहा कि आशा कार्यकर्ता को ध्यान देना चाहिए था कि गर्भवती को वक्त पर एंबुलेंस मिले।
डॉक्टर और नर्स को सिर्फ समझाइश: ड्यूटी के वक्त जिला अस्पताल से नदारद डॉक्टर और नर्स को CMHO लखन लाल तिवारी ने सिर्फ निर्देश और समझाइश दी। उन्होंने डॉक्टर और नर्स से कहा कि भविष्य में इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सख्त एक्शन होना चाहिए: CMHO लखन लाल तिवारी ने जिस तरह से इस गंभीर मुद्दे पर लीपापोती करने की कोशिश की है, वो ठीक नहीं है। अगर गर्भवती महिला और उसके बच्चे के साथ कोई अनहोनी हो जाती तो उसका जिम्मेदार कौन होता ? जिला अस्पताल के ऐसे लापरवाह रवैये के खिलाफ सख्त एक्शन होना चाहिए, जिससे भविष्य में किसी गर्भवती और उसके बच्चे की जान के साथ खिलवाड़ न हो।