सचिन त्रिपाठी, SATNA. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट की परिधि में त्रेतायुगीन कई ऐसी प्राकृतिक संरचनाएं हैं जिनका जिक्र रामचरितमानस में है। इनमें से एक है सिद्धा पहाड़ जिसमें मध्यप्रदेश की 'रामनामी' शिवराज सरकार को खनिज का खजाना दिख रहा है। प्रदेश सरकार ने इस पहाड़ को खनिज लीज के रूप में देने की तैयारी कर ली है जिसे लेकर विवाद छिड़ गया है। विपक्षी दल कांग्रेस हमलावर है, बीजेपी की ओर से अब तक संज्ञान की बात ही सामने आ सकी है।
खनिज कारोबारी सुरेंद्र सिंह सलूजा ने मांगी है खनन की अनुमति
सतना के उत्तर में पवित्र नगरी चित्रकूट है। जहां से करीब 40 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व दिशा में 'सिद्धा' पहाड़ है। इस त्रेता युगीन पहाड़ में मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार को खनिज दिखाई दे रहा है जिसके चलते लीज स्वीकृति दिए जाने की प्रक्रिया चल रही है। बताया गया कि कटनी के एक खनिज कारोबारी सुरेंद्र सिंह सलूजा ने 2 हेक्टेयर में उत्खनन की अनुमति मांगी है। ये अनुमति स्टेट एनवायरमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी से एनवायरमेंट क्लीयरेंस चाही है। इस पर अथॉरिटी ने टीओआर जारी कर दिया है। इसके बाद मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भोपाल के सतना कार्यालय से जनसुनवाई का नोटिस जारी किया जिस पर 30 अगस्त 2022 को सिद्धा में जनसुनवाई हुई। इसके बाद संत समाज और स्थानीय लोगों में आक्रोश है। समाजसेवी अभिजीत सिंह ने द सूत्र से कहा कि सरकार खजाना ही भरना चाहती है तो इस क्षेत्र को वाइल्ड लाइफ सेंचुरी घोषित कर दे।
15 साल से बंद खदान खोलने की तैयारी
सिद्धा पहाड़ की खदान को फिर से शुरू किए जाने का काम प्रक्रिया में है। बताते हैं कि मझगवां तहसील के सिद्धा ग्राम में स्थित सिद्धा पर्वत पर बाक्साइट, लैटेराइट, ओकर, और व्हाइट अर्थ की 16.14 हेक्टेयर खदान पहली बार अगस्त 1978 में जैतवारा की मेसर्स गायत्री देवी बंसल के नाम 10 साल के लिए स्वीकृत की गई थी। अगस्त 1988 में 10 साल के लिए एक बार फिर से इसी खदान का नवीनीकरण कराया गया। यह चलती रही लेकिन 2015 में विरोध के बाद खदान बंद कर दी गई। दरअसल मामले ने तब उछाल पकड़ा जब 2 हेक्टेयर के लिए एनवायरमेंट क्लीयरेंस मांगी गई। यह उस कंपनी ने मांगा जिसके खिलाफ पहले से मामला न्यायालय में विचाराधीन है। बताते हैं कि लीज को पहले जैतवारा की राकेश एजेंसी के नाम पर ट्रांसफर कराया गया। इसमें 6 भागीदार बने। इन भागीदारों में कटनी के अल्फर्ट गंज (माई का बगीचा) निवासी सुरेन्द्र सिंह सलूजा के अलावा जैतवारा सोम कुमार बंसल, ओमप्रकाश बंसल, विनय कुमार बंसल, श्याम कुमार बंसल और एक राजेश कुमार जैन शामिल हैं। राकेश एजेंसी के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत मामला सीजेएम की अदालत में फरवरी 2016 से चल रहा है। इसके बाद भी राकेश एजेंसी ने कटनी के खनन कारोबारी के जरिए ये लीज दोबारा पाने के प्रयास में है। यही कारण है कि एक बार फिर इस पर सियासत तेज हो गई है।
जहां श्रीराम ने ली थी प्रतिज्ञा वहां खनन क्यों ?
बड़ा विवाद उस जगह को लेकर है जिसे लोग श्रीराम का प्रतिज्ञा स्थल कह रहे हैं। इस क्षेत्र के लिए ही कारोबारी ने खनन की अनुमति मांगी है। इस स्थल को लेकर माना जाता है कि तुलसी कृत रामचरित मानस में एक चौपाई है-पुनि रघुनाथ चले बन आगे। मुनिबर बृंद बिपुल संग लागे। अस्थि समूह देखि रघुराया। पूछी मुनिन्ह लागि अति दाया। इस चौपाई में जिस अस्थि समूह का वर्णन है उसी को आज लोग सिद्धा पहाड़ के रूप में देखते हैं।
राम चरित मानस में ही एक दोहा भी है-
निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह।
सकल मुनिन्ह के आश्रमन्हि जाइ जाइ सुख दीन्ह।
लोग मानते हैं कि ये प्रण भगवान श्री राम ने इसी सिद्धा पहाड़ पर लिया था। इस पर नई दिल्ली के श्रीराम शोध संस्थान के सतना प्रभारी राम कुशल पयासी कहते हैं कि ये राम वन गमन पथ में आता है। जैसी अपनी अयोध्या है वैसी ही सिद्धा पहाड़ धर्मस्थली है। इसका संरक्षण जरूरी है लेकिन खनिज माफिया बाज नहीं आ रहे हैं।
जन आंदोलन की तैयारी में ग्रामीण
सिद्धा पहाड़ को एक बार फिर खोदने की तैयारी को लेकर स्थानीयों का पारा हाई है। आशुतोष द्विवेदी कहते हैं कि चित्रकूट के सरभंग आश्रम, सिद्धा पहाड़ और सुतीक्षण आश्रम के नजदीक के पर्वतों में खनन किया जा रहा है। ये अवैध तरीके से चल रहा। यहां के आस्था से जुड़े इन पर्वतों को बचाने के लिए विशाल जन आंदोलन किया जाएगा।
सिद्धा पहाड़ पर सियासत तेज
मैहर के बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने एक वीडियो जारी कर कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से अपील करता हूं कि आस्था के केंद्रों पर कारोबारी गतिविधियों को रोकें। विंध्य की अस्मिता और उससे किसी तरह का दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चित्रकूट के कांग्रेस विधायक नीलांशु चतुर्वेदी ने कहा कि ये झूठे राम भक्त हैं। चित्रकूट का जो भी पवित्र क्षेत्र है उस पर इस तरह की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शिवराज सरकार नहीं मानी तो चित्रकूट की राम सेना आंदोलन करेगी।