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देव श्रीमाली, Gwalior. श्योपुर और शिवपुरी जिलों की सीमा पर स्थित कूनो पालपुर में विदेशी मेहमानों के आगमन की तारीख नजदीक आती जा रही है। नामीबिया से आ रहे अफ्रीकन चीतों के आने के इस ऐतिहासिक घटना के साक्षी बनने स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वयं आने से पूरे देश में यह चर्चा का विषय बन गया है। चीतों के आगमन से लेकर इनको हेबिटेट में मन रमाने के लिए वन्य प्राणी विशेषज्ञ तैयारियों में जुटे हैं। खास बात ये है कि शुरुआत में इनको अलग-अलग बाड़ों में छोड़ा जाएगा और इनकी मनोदशा पर कड़ी निगाह रखी जाएगी।
अलग रहेंगे, अलग खाएंगे
चीतों के बसाने के अभियान से जुड़े वन्य जीव विशेषज्ञों का कहना है कि शुरुआती दौर में नर और मादा चीतों को अलग-अलग रखा जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो अलग-अलग बनाए गए बाड़ों में चीते विमुक्त करेंगे। पहले बाड़े में नर चीते छोड़े जाएंगे। दूसरे बाड़े में एक मादा चीता को छोड़ा जाएगा। इनके लिए आहार का इंतजाम भी पृथक-पृथक किया गया है। इसकी वजह है कि जब अफ्रीकन चीते अपने इस नए घरौंदे को ठीक से आत्मसात न कर लें और इसमें वे सहज न हो जाएं, तब तक इनका प्रेमालाप उचित नही होगा साथ ही इनकी मनोदशा में आ रहे बदलावों पर भी बारीक निगाह रखकर तथ्यों का विश्लेषण किया जाएगा।
तीन सप्ताह रहेंगे अलग -अलग
विशेषज्ञों के अनुसार क्षेत्र में शिकार का घनत्व चीतों के लिए पर्याप्त है। नर चीते दो या दो से अधिक के समूह में साथ रहते हैं। सबसे पहले चीतों को दो-तीन सप्ताह के लिए छोटे-छोटे पृथक बाड़ों में रखा जाएगा। एक माह के बाद इन्हें बड़े बाड़ों में स्थानांतरित किया जाएगा। विशेषज्ञों द्वारा बड़े बाडों में चीतों के अनुकूलन संबंधी आंकलन के बाद पहले नर चीतों को और उसके पश्चात मादा चीतों को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। इस संबंध में आवश्यक प्रोटोकॉल के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
नामीबिया से प्रशिक्षण भी लिया
मेहमान चीतों की मनोदशा और उनके लालन -पालन के तौर - तरीके सीखने को लेकर भी मध्यप्रदेश के वन अफसरों ने कड़ी मशक्कत की है । उन्होंने अपने स्तर पर तो इनके जीवन से जुड़ी हर चीज पर विशद अध्ययन किया ही है साथ ही वन विभाग के अधिकारियों के एक दल को नामीबिया भी भेजा गया था जिसने वहां रहकर इनकी जीवनचर्या से जुड़े हर मामले का व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त किया है । अब यही दल कूनो अभ्यारण्य में तैनात रहकर इनकी देखरेख करेगा।
चीतों की बसाहट के लिए कूनो में अब तक ये तैयारियां हो चुकीं हैं
कूनो राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र से लगे हुए गाँव में पशुओं के टीकाकरण का कार्य पूरा किया जा चुका है। क्षेत्र के समस्त गाँव में जागरूकता शिविर लगाए गए हैं। यहाँ चीतों के रहवास के लिए अनुकूल परिस्थितियों का विकास किया गया है। पानी की व्यवस्था के साथ आवश्यक सिविल कार्य भी पूरे किए गए हैं। कूनो में वन्य-प्राणियों का घनत्व बढ़ाने के लिए नरसिंहगढ़ से चीतल लाकर छोड़े गए हैं।