SIDHI. नगर पालिका सीधी (Municipal Sidhi) और नगर पंचायत चुरहट (Nagar Panchayat Churhat) में हारी बाजी पलटने के फिराक में बैठी बीजेपी (BJP) की नहीं चल सकी है। यहां कांग्रेस (Congress) के अधिकृत प्रत्याशी अध्यक्ष (President ) और उपाध्यक्ष (Vice President) का चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। सीधी नगर पालिका चुनाव में बीजेपी 6 से 10 जरूर हुई पर जीत के लिए और जरूरी मत नहीं जुटा पाई। दो दिन पहले मझौली, रामपुर नैकिन में मिली जीत का जश्न मनाने वाली बीजेपी का कमजोर संख्याबल के बाद भी जीत का सपना देखना बेकार हो गया है। कांग्रेस के बड़े नेताओं की सधी रणनीति कामयाब रही है।
नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में पहले से ही तय था कि कांग्रेस का ही अध्यक्ष बनेगा। बीजेपी कमजोर संख्याबल के बाद भी जोड़-तोड़ में लगी हुई थी। जोड़-तोड़ का ही नतीजा रहा की बीजेपी 6 से 10 पर पहुंच गई पर जीत नहीं पाई। अध्यक्ष के चुनाव में काजल वर्मा को 14 तो बीजेपी की पूनम सोनी को 10 मत मिले हैं। हालांकि उपाध्यक्ष के चुनाव में इसी पूनम को 8 मत मिले जबकि कांग्रेस के दानबहादुर सिंह को 16 मत मिले हैं। चुरहट नगर पंचायत चुनाव में कांग्रेस की मोनिका गुप्ता अध्यक्ष, अजय पांडे उपाध्यक्ष चुने गए हैं।
पूनम सोनी को बीजेपी ने दो बार किया रिपीट, दोनों बार हारी
नगर पालिका चुनाव में बीजेपी की ओर से पूनम सोनी अध्यक्ष पद की प्रत्याशी रही हैं, अध्यक्ष का चुनाव वह काजल वर्मा से चार मतों से हार गईं। अध्यक्ष के चुनाव बाद उपाध्यक्ष का चुनाव शुरू हुआ जहां कांग्रेस ने दानबहादुर को अपना प्रत्याशी घोषित किया वहीं बीजेपी को कोई दूसरा उम्मीदवार नहीं मिला अंततः फिर से पूनम को चुनाव मैदान में उतार दिया और वह हार गईं। याद रहे पूनम को अध्यक्ष के चुनाव में 10 मत मिले थे जबकि उपाध्यक्ष के चुनाव में दो मत घटे तो आठ पर आ गईं।
चुरहट विधानसभा फिफ्टी-फिफ्टी
जिला पंचायत को छोड़ जनपद और निकाय चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं, किस पार्टी ने कहां जीत हांसिल की यह भी स्पष्ट हो चुका है। पांच जनपद में चार कांग्रेस के खाते में चली गई हैं। निकाय अध्यक्ष दो बीजेपी के तो दो कांग्रेस के पाले में गए हैं। चुरहट विधानसभा के हिसाव से बात किया जाए तो यहां भी फिफ्टी-फिफ्टी का हिसाब हुआ है। जनपद अध्यक्ष कांग्रेस के खाते में अतिरिक्त है। यानी कांग्रेस बढ़त में देखी जा रही है। सीधी विधान सभा में एक ही नगर पालिका है जिसे कांग्रेस ने 17 साल बाद अपने कब्जे में ले लिया है। यहां बीजेपी को जनपद में मिली जीत से संतोष करना पड़ रहा है।
कांग्रेस को एकजुटता का फायदा मिला
कांग्रेस लंबे समय बाद एकजुट होकर चुनाव लड़ते दिखी है। अक्सर गुटबाजी में मात खाती रही है। कांग्रेस की एकजुटता या फिर दूसरे की सीमा रेखा न लांघने का नतीजा रहा की चार जनपद, दो निकाय अपने नाम कर लिए हैं। बीजेपी में ठीक कांग्रेस के उलट रहा है, मसलन जीतने बड़े नेता उनके अपने-अपने ठौर-ठिकाने, अपने कुनबे l जीते तो अपना वाला ही जीते वरना कांग्रेस का ही जीत जाए कोई गम नहीं। इसी रणनीति ने हर जगह मात दे दी और बेड़ा गर्क करा लिया। क्या सांसद, क्या विधायक, क्या जिलाध्यक्ष सबकी अपनी डफली अपना राग रहा है, जबकि कांग्रेस ने नजीर पेश की।