कभी डाकू सरगना रहा अरविन्द गुर्जर जेल से निकलते ही बोला,डकैत जीवन नर्क से भी बुरा

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Dev Shrimali
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कभी डाकू सरगना रहा अरविन्द गुर्जर जेल से निकलते ही बोला,डकैत जीवन नर्क से भी बुरा

GWALIOR. ग्वालियर केंद्रीय जेल से आज गांधी जयंती के उपलक्ष में उम्र कैद की सजा काट रहे 82 कैदियों को जेल से रिहा किया गया और उन्होंने आजादी की सांस ली। ग्वालियर के साथ ही प्रदेश की सभी 11 सेंट्रल जेलों से लंबे समय से आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे इन कैदियों के लिए 2 अक्टूबर गांधी जयंती की सुबह नई रोशनी की किरण लेकर आई। सेंट्रल जेल से रिहा हुए कैदियों के चेहरे पर एक अलग ही नूर देखने को मिल रहा था और उन्होंने कहा कि वे फिर से अपनी जिंदगी की नई पारी शुरू करेंगे। ख़ास बात ये कि आज रिहा हुए बंदियों में कभी कुख्यात सरगना रहा अरविन्द गुर्जर भी शामिल है। रिहा होते ही वह बोला - डकैत जीवन नर्क से भी बदतर। अब परिवार के साथ रह सकूंगा। 



ग्वालियर जेल से रिहा हुए 82 बंदी 



,जेल मुख्यालय भोपाल से मिले आदेश के बाद  प्रदेश की सभी 11 सेंट्रल जेलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बंदियों की रिहाई आज गांधी जयंती को की गई है   अब राज्य सरकार की अनुशंसा पर प्रदेश भर में लगभग 500 बंदियों को इस बार छोड़ा जा रहा है। सरकार पूर्व में 15 अगस्त, 26 जनवरी को कैदियों को छोड़ती थी। अब साल में 4 बार कैदियों को रिहा किया जाएगा। 2 अक्टूबर के अलावा अब 14 अप्रैल बाबा साहेब अंबेडकर  जयंती पर भी बंदियों को आजाद किया जाएगा। ग्वालियर सेंट्रल जेल द्वारा भोपाल मुख्यालय के निर्देश पर 82 बंदियों को रिहा किया। जेल से रिहा हुए सभी कैदियों ने सरकार और जेल प्रशासन के निर्णय की भूरि-भूरि  सराहना की और फिर से नई जिंदगी शुरू करने की बात कही। 



दस्यु सरगना अरविंद गुर्जर भी रिहा 



आज रिहा हुए लोगों में कभी यमुना और सिंध नदी के बीहड़ों में आतंक का पर्याय रहा अर्वांद गुर्जर भी था। लगभग दस वर्ष तक डकैत रहे अरविन्द ने 2005 में तत्कालीन गृहमंत्री जगदीश देवड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था। उसने बताया कि उसके साथ सात और डकैतों ने समर्पण किया था लेकिन वे सब धीरे -धीरे जल से रिहा हो गए केवल वही जेल में था जिसे आज रिहाई मिली।  उसने कहा कि कि 28 वर्ष उन्होंने दस्यु जीवन और जेल के दौरान कष्ट भोग कर जिंदगी गुजारी है और अब अपने जीवन की नई शुरुआत करेंगे।



जेलों में बंद है २८ हजार से ज्यादा विचाराधीन कैदी 



गौरतलब है कि  प्रदेश की 11 सेंट्रल तथा 50 जिला जेलों में 48 हजार 679 कैदी सजा काट रहे हैं। इनमें 15 हजार से ज्यादा कैदी आजीवन कारावास वाले हैं। 20 हजार 479 दंडित बंदी हैं, जिनमें 1066 महिलाएं भी हैं। बताया जा रहा है कि 28150 विचाराधीन कैदी हैं।


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