BHOPAL: अग्निवीर पेंशन के हकदार नहीं, तो जनप्रतिनिधि क्यों,  तीन-तीन पेंशन ले रहे MP के MLA

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Vivek Sharma
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BHOPAL: अग्निवीर पेंशन के हकदार नहीं, तो जनप्रतिनिधि क्यों,  तीन-तीन पेंशन ले रहे MP के MLA

Bhopal. देश में अग्निपथ योजना(Agneepath Scheme) को लेकर भारी बवाल मचा है। देश भर में इसके खिलाफ हिंसक प्रदर्शन(violence) हो रहे हैं। अब तक करोड़ों की रेलवे की संपत्ति(railway property) बर्बाद हो चुकी है। गौरतलब है कि अग्निवीरों की पेंशन का मुद्दा(Agniveers' pension issue) सुर्खियों में है। उन्हें पेंशन दी जाए अथवा नहीं इस पर बहल छिड़ी है। हालांकि उनके लिए किसी भी तरह की पेंशन का प्रावधान(no pension provision) नहीं है जबकि हमारे देश के नेता एक नहीं 3-3 पेंशन ले रहे हैं। आखिर ऐसा क्यों। अब नेताओं की पेंशन व्यवस्था(pension system) को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं और आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर यदि संग्राम छिड़ता है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। 



सीधी सी बात यह है कि जब अधिकारी-कर्मचारी के लिए नियम बन गया है कि 2004-05 के बाद उन्हें पेंशन नहीं मिलेगी तो फिर नेताओं को क्यों। उन्हें दो-तीन तरह की पेंशन लेने का अधिकार मिल जाए, यह कहां तक ठीक है। इस संबंध में सांसद रहे नानाजी देशमुख ने लिखा है कि एक सांसद पर पांच साल में करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। एक तरह से उनकी बात सही थी। नेता इसके बाद भी पेंशन व सुविधाओं(pension and benefits) के नाम पर काफी पैसा लेते हैं। यदि फिर भी पेंशन चाहिए तो एक पेंशन लें। 



आखिरकार उन ‘माननीयों’ से कोई कुछ नहीं पूछ रहा जो विधायक के साथ सांसद की भी पेंशन ले रहे। इस बार ‘माननीयों’ के बीच से ही वरुण गांधी ने मोर्चा खोला है, जिसके बाद से फिर पेंशन व्यवस्था कठघरे में है। मप्र में तो पेंशन की यह व्यवस्था ‘माननीयों’ के अनुसार ही बनी है। पता चला है कि पूर्व विधायक पूर्व सांसद के साथ मीसाबंदी अथवा रिटायर्ड अफसर की भी पेंशन एक साथ ‘माननीयों’ द्वारा ली जा रही है। मेडिकल भत्ता 15 हजार रुपए पूर्व विधायकों को अतिरिक्त मिल रहे हैं। विधायकों के लिए ने पिछले 14 साल में तीन बार नियम बदल दिए। ताजा प्रावधान यह है कि चुनाव परिणाम आने के ठीक बाद जैसे ही उसे निर्वाचित होने का प्रमाण-पत्र मिलेगा, वह पेंशन का हकदार हो जाएगा।



पूर्व वित्तमंत्री राघव जी को 3 तरह की पेंशन



विधायक-सांसद के साथ मीसाबंदी की पेंशन भी ले रहे। पूर्व विधायक की 38200 रुपए पेंशन व 15000 रुपए मेडिकल भत्ता और पूर्व सांसद की 25000 रुपए पेंशन।



पूर्व सांसद डॉ. भागीरथ प्रसाद- 1.5 लाख से अधिक



1975 बैच के सीनियर आईएएस रहे और बाद में सांसद बने। इन्हें भी पूर्व अफसर व पूर्व सांसद की मिलाकर डेढ़ लाख रुपए से अधिक पेंशन मिल रही है।



पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह- दो लाख 



विधायक की पेंशन के साथ पूर्व आईपीएस अधिकारी की भी पेंशन ले रहे हैं। यह करीब दो लाख रु. है। ऐसे कई नेता हैं जो विधायक-सांसद दोनों की पेंशन ले रहे हैं।



800 पूर्व विधायक ले रहे पेंशन



मप्र में इस समय 800 पूर्व विधायक हैं, जिन्हें पेंशन मिल रही है। इनमें 20 फीसदी ऐसे हैं, जो पूर्व विधायक की पेंशन तो ले रहे, इसके अलावा मीसाबंदी, पूर्व सांसद अथवा सेवानिवृत्त अधिकारी-कर्मचारी की पेंशन भी उन्हें मिल रही है। पूर्व विधायकों में इस समय सबसे अधिक पेंशन पूर्व मंत्री गौरीशंकर शेजवार को मिल रही है, जो 59 हजार है।



पहले 5 साल विधायक रहने पर ही मिलती थी



2008 से पहले तक पांच साल विधायक रहने पर ही पेंशन मिलती थी। लेकिन नियम बदल दिए गए। 2008 के बाद मप्र विधानसभा ने नियम बदले और इसे छह महीने कर दिया। यह व्यवस्था भी सिर्फ चार साल चली।2012 में नया प्रावधान आया कि चुनाव जीतने और निर्वाचन का प्रमाण-पत्र मिलते ही वह पेंशन का हकदार होगा।

 


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