MP: मध्यप्रदेश को मिले नशामुक्ति में नंबर वन के अवार्ड पर सवाल, एक साल में दस फीसदी बढ़ा राजस्व और 15 फीसदी बढ़ी शराब की खपत

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MP: मध्यप्रदेश को मिले नशामुक्ति में नंबर वन के अवार्ड पर सवाल, एक साल में दस फीसदी बढ़ा राजस्व और 15 फीसदी बढ़ी शराब की खपत

BHOPAL. मप्र सरकार (MP Government) को 30 जुलाई को नशा मुक्त भारत अभियान (drug free India campaign) में बेहतर राज्य का अवार्ड मिलने जा रहा है। ये अवार्ड इसलिए दिया जा रहा है कि मप्र में नशा मुक्ति अभियान में बेहतर काम किया। लेकिन अवार्ड  और आंकड़ें दोनों में अंतर नजर आता है और इसलिए इस अवार्ड पर सवाल उठते हैं। सवाल ये है कि एक तरफ तो प्रदेश नशामुक्ति में आगे तो दूसरी तरफ  पिछले एक साल में प्रदेश का शराब से राजस्व (revenue from alcohol) दस फीसदी राजस्व बढ़ गया है और शराब की खपत में 15 फीसदी का इजाफा हुआ है।





भारत सरकार (Government of India) के सामाजिक न्याय विभाग (Social Justice Department) की जाइंट सेक्रेट्री राधिका चक्रवर्ती (Joint Secretary Radhika Chakraborty) का ये लैटर मप्र सरकार (Government of MP) को मिला जिसमें कहा गया है कि मप्र को नशामुक्ति में बेहतर काम करने के लिए नशा मुक्त भारत अभियान अवार्ड से 30 जुलाई को नवाजा जा रहा है। इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बयान सामने आया कहा कि मप्र नशामुक्ति अभियान के लिए और जागरूकता बढ़ाएगा। 



शिवराज के इस बयान को लेकर उमा भारती ने भी ट्वीट किया जो मप्र में पूर्ण शराबबंदी की लगातार मांग उठा रही है। उमा ने लिखा कि सीएम ने  मध्यप्रदेश में शराबबंदी की नीति को संशोधित करने और संपूर्ण नशामुक्ति के लिए जागरूकता अभियान को और गति देने की जो घोषणा की है वह अभिनंदनीय है। लेकिन यहां पर सवाल है आखिरकार मप्र को ये अवार्ड किन पैमानों पर दिया गया है, ये समझ से परे हैं। क्योंकि मप्र में पिछले दो सालों में तो शराब की बिक्री भी बढ़ी है और खपत भी, सबसे पहले तो नशामुक्ति अभियान के बजट पर ही गौर कीजिए।



सरकार का नशामुक्ति बजट HDR




  • साल 2018-19 में नशा मुक्ति के लिए सरकार ने 11 करोड़ के बजट का प्रावधान किया लेकिन खर्च किए दो करोड़ रु.


  • साल 2019-20 में सरकार ने 2 करोड़ 72 लाख के बजट का प्रावधान किया और खर्च किए 1 करोड़ 9 लाख रु.



  • हकीकत ये है कि सरकार को हर साल करोड़ों रुपए शराब से राजस्व मिलता है उसका एक चौथाई भी नशामुक्ति पर खर्च नहीं हो रहा। आंकड़ें देखिए-



    सरकार को शराब से राजस्व HDR




    • 2015-16 में  7926.29 करोड़ 


  • 2016-17 में 7519.42 करोड़ 

  • 2017-18 में  8233.38 करोड़  

  • 2018-19 में 9506.98 करोड़ 

  • 2019-20 में  10773.29 करोड़ 

  • 2020-21 में  9520.96 करोड़  

  • 2021-22 में  10380.29 करोड़



  • का राजस्व मिला, वहीं खपत भी बढ़ी है



    शराब की खपत (2020-21)




    • देशी - 899.16 लाख प्रूफ लीटर


  • बीयर- 420.65 लाख प्रूफ लीटर

  • अंग्रेजी शराब- 840.77 लाख प्रूफ लीटर



  • शराब की खपत (2021-22)




    • देशी -1020.38 लाख प्रूफ लीटर


  • बीयर - 471.03 लाख प्रूफ लीटर

  • अंग्रेजी शराब - 962.18 लाख प्रूफ लीटर



  • खास बात ये है कि पिछले 5 महीनों में मप्र में  52767 नाबालिगों पर एक्साइज एक्ट में मामले दर्ज हुए है। यानी नाबालिगों में शराब की लत बढ़ती जा रही है। ऐसे में आंकड़े और अवार्ड की कहानी में बेहद अंतर है। अवार्ड किस बात का मिल रहा है और यदि नशामुक्ति के लिए अवार्ड मिल रहा है तो उमा भारती लगातार क्यों कह रही है कि मप्र के युवाओं में नशे की लत बढ़ती जा रही है।


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