संजय गुप्ता, INDORE. मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा गुरुवार (20 अक्टूबर) की रात को घोषित किए गए मप्र राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2021 और मप्र राज्य वन सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2021 के रिजल्ट में कटऑफ का पेंच फंस गया है। इसे लेकर अभ्यर्थियों ने नाराजगी जाहिर करने के साथ ही इस पूरे रिजल्ट को चैलेंज करते हुए असंवैधानिक बताया है। खुद अभ्यर्थियों के वकील विभोर खंडेलवाल ने कहा है कि यह पूरा तरीका ही गलत है और पूरी तरह से रिजल्ट गलत बनाया गया है। दरअसल इस रिजल्ट में दो बड़ी आपत्तियां उठ रहीं हैं।
पहली बड़ी आपत्ति
सबसे बड़ी चूक तो यह दिख रही है कि इसमें हर कैटेगरी में मेल और फीमेल अभ्यर्थियों के लिए कटऑफ मार्क्स समान हैं जैसे अनरिजर्व्ड कैटेगरी में मेल के लिए 154 अंक न्यूनतम मानक थे तो वहीं फीमेल के लिए भी यही घोषित किए गए। एसटी के लिए कटऑफ मार्कस 132 मेल व फीमेल दोनों के लिए समान हैं। इसी तरह एससी कैटेगरी में 142, तो ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के लिए 148 मेल व फीमेल दोनों के लिए समान रहे। इसी तरह राज्य वन सेवा में भी मेल व फीमेल के लिए एक ही कटआफ मार्क्स हैं। यहां तक कि 13 फीसदी के लिए जो प्रोवीजनल रिज्लट है इसमें अनरिजर्व्ड के लिए 146 व ओबीसी के लिए 142 कटआफ है।
2019 के प्रांरभिक परीक्षा में यह नहीं था
राज्य सेवा परीक्षा 2019 के लिए मेल, फीमेल के कटऑफ अलग थे। वहीं कुछ दिन पहले ही आयोग द्वारा घोषित मप्र राज्य सेवा परीक्षा 2019 के प्रांरभिक परीक्षा में यह नहीं था। तब रिजल्ट देखिएगा- इसमें अनरिजवर्ड कैटेगरी में मेल के लिए कटआफ 154, फीमेल के लिए 152, एससी में मेल के लिए 138 तो फीमेल के लिए 134, एसटी कैटेगरी में मेल व फीमेल का समान 126 तो ओबीसी में मेल के लिए 148 व फीमेल के लिए 142 कटऑफ था। ओबीसी के लिए कटआफ मेल के लिए 136 और फीमेल के लिए 132 था। वहीं प्रोवीजनल रिजल्ट के लिए भी मेल व फीमेल का अलग-अलग कटऑफ था। अनरिजवर्ड मेल के लिए 146, फीमेल के लिए 144 तो ओबीसी मेल के लिए 140 व फीमेल के लिए 136 था।
दूसरी बड़ी आपत्ति
दूसरी बड़ी आपत्ति जानकारों द्वारा प्रोवीजनल रिजल्ट के कटऑफ को लेकर उठाई गई है। राज्य सेवा परीक्षा 2021 के प्रोवीजनल रिजल्ट में अनरिजवर्ड कैटेगरी का कटआफ 146 है, जो मूल रिजल्ट में आरक्षित वर्ग एससी और एसटी वर्ग से ज्यादा है। जानकारों का कहना है कि यह कैसे हो सकता है, आरक्षित वर्ग का कटआफ अनरिजवर्ड कटआफ से ज्यादा हो।
महिला अभ्यर्थी ने उठाये सवाल
इधर एक महिला अभ्यर्थी ने पीएससी के जारी रिजल्ट को लेकर आपत्ति लेते हुए आयोग चेयरमैन को पत्र लिखा है। अभ्यर्थी मनीषा ठाकुर ने कहा कि वह हरदा की रहने वाली है, प्रारंभिक परीक्षा 2019 का जो रिवाइज्ड रिजल्ट आया है इसमें उन्हें प्रोवीजनल रिजल्ट की सूची में रखा गया है, जबकि वह बीते रिजल्ट में मुख्य परीक्षा तक दे चुकी है और बीते रिजल्ट में जारी कटऑफ को क्लियर किया था, तब ऐसे में वह इस नए रिजल्ट में मूल रिजल्ट में नहीं आकर प्रोवीजनल में कैसे आ सकती है।
यूथ संगठन भी आगे आया
वहीं युवा बेरोजगारों के लिए आंदोनल कर रहे एनईवाययू (नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन) ने भी इस पूरी धांधली के लिए मप्र शासन को जिम्ममेदार बताया। आंदोलनकारी राधे जाट का कहना है कि यह सब इसलिए किया क्योंकि यह फिर कानूनी पेंच में रिजल्ट उलझ जाए और शासन को किसी की भर्ती ही नहीं करना पड़े।
वकील ने बताया अंसवैधानिक
अभ्यर्थियों के वकील विभोर खंडेलवाल ने इस पूरे रिजल्ट को फिर अंसवैधानिक बताया है, उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह असंभव है कि हर कैटेगरी में मेल व फीमेल का कटऑफ एक हो और प्रोवीजनल रिजल्ट आरक्षित वर्ग से अधिक हो। हमने कोर्ट में रिजल्ट को लेकर आपत्तियां लगाते हुए याचिका दायर की है, छुटिटयों के बाद इस पर हाईकोर्ट फैसला लेगा।
पीएससी ने नहीं दिया कोई जवाब
इस मामले में द सूत्र ने कई बार पीएससी प्रवक्ता डॉ. रविंद्र पंचभाई को फोन लगाया, मैसेज किया लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया।