भोपाल (सुनील शुक्ला). मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने राज्य सेवा परीक्षा- 2019 की मुख्य परीक्षा के रिजल्ट के आधार पर इंटरव्यू की प्रक्रिया शुरू करने को हरी झंडी दे दी है लेकिन इसमें आरक्षण के फॉर्मूले का पेंच नहीं सुलझ पा रहा है। इसके प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के रिजल्ट को हाईकोर्ट में चुनौती देने वाले स्टूडेंट के एडवोकेट इंटव्यू की प्रोसेस शुरू करने के MPPSC के निर्णय को हाईकोर्ट जबलपुर के दिशा-निर्देश का उल्लंघन बता रहे हैं। जबकि आयोग के अधिकारियों का कहना है कि हाइकोर्ट ने परीक्षा की प्रोसेस पर कोई रोक नहीं लगाई है। इसलिए मुख्य परीक्षा के रिजल्ट के आधार पर इंटरव्यू की प्रक्रिया कराना कोई उल्लंघन नहीं है।
इंटरव्यू कराने का निर्णय हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश का खिलाफ: MPPSC ने विवादित राज्य सेवा परीक्षा-2019 मेंस के 31 दिसंबर को जारी रिजल्ट के आधार पर फाइनल इंटरव्यू मार्च के अंत में शुरू कराने के संकेत दिए हैं। हालांकि आयोग ने अभी इंटरव्यू का विस्तृत शेड्यूल जारी नहीं किया है। लेकिन इस परीक्षा के प्री और मेंस के रिजल्ट को हाईकोर्ट में चुनौती देने वाले छात्रों की नजर में आयोग का इंटरव्यू कराने का निर्णय हाईकोर्ट जबलपुर के 10 फरवरी के निर्देश के खिलाफ है। इस मामले में याचिकाकर्ताओं के वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर का कहना है कि हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश में MPPSC 2019 की परीक्षा की संपूर्ण प्रक्रिया को याचिका के निर्णयाधीन किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब देने के लिए 8 सप्ताह का समय दिया है।
मामला अभी हाईकोर्ट के विचाराधीन इसलिए प्रक्रिया बढ़ाना अनुचित: हाईकोर्ट के इस निर्देश के बाद भी इंटरव्यू आयोजित किए जाने की बात तकनीकी त्रुटि है। चूंकि परीक्षा से जुड़ी पूरी प्रक्रिया अभी न्यायालय के विचाराधीन है। इसलिए MPPSC को आगे की कोई भी प्रक्रिया नहीं बढ़ानी चाहिए। इससे अनावश्यक रूप से वाद और बढ़ेंगे। एडवोकेट ठाकुर ने बताया कि एमपीपीएससी की 2019 की राज्य सेवा परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी एक विशेष अनुमति याचिका (SLC) दाखिल की गई है। इसमें में भी एकाद हफ्ते में समुचित अंतरिम आदेश जारी होने की संभावना है।
आयोग- हाईकोर्ट ने परीक्षा की प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं लगाई: याचिकाकर्ता के वकील की आपत्तियों के संबंध में मप्र लोक सेवा आयोग के सचिव प्रबल सिपाहा का कहना है कि हाईकोर्ट ने परीक्षा की प्रोसेस पर किसी भी तरह की रोक नहीं लगाई है। कोर्ट ने निर्देशित किया है आप परीक्षा का अंतिम रिजल्ट हमसे पूछे बिना जारी नहीं करेंगे। मुख्य परीक्षा के रिजल्ट के आधार पर इंटरव्यू की प्रक्रिया के बाद हम हाईकोर्ट से दिशा-निर्देश हासिल करेंगे।
आरक्षण के इस फॉर्मूले पर विवाद: 31 दिसंबर 2021 को PSC ने 2019 के मेन्स का रिजल्ट घोषित किया था। याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में इसकी संवैधानिकता को चुनौती दी। दरअसल, सरकार ने 17 फरवरी 2020 को मप्र राज्य भर्ती सेवा नियम-2015 में संशोधन किया था। 2015 के नियम के मुताबिक ST- 20 फीसदी, SC- 16 फीसदी, OBC- 14 फीसदी और अनारक्षित वर्ग को 50 फीसदी आरक्षण था। इस तरह से आरक्षण की सीमा 100 फीसदी थी। इसमें नुकसान EWS कैटेगरी और OBC के बची हुई 13 फीसदी कैटेगरी को हो रहा था। लेकिन सरकार ने 2015 के इस नियम में संशोधन कर दिया। इसके बाद आरक्षण की जो स्थिति बनी थी वो कुछ ऐसी थी। ST- 20 फीसदी, SC- 16 फीसदी, EWS- 10 फीसदी, OBC- 27 फीसदी और अनारक्षित कैटेगरी को 40 फीसदी। इस तरह रिजर्वेशन की सीमा 113 प्रतिशत हो गई थी। हाईकोर्ट में इसकी संवैधानिकता को चुनौती दी गई। 20 दिसंबर 2021 को हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि संशोधित नहीं बल्कि 2015 का पुराना नियम ही लागू किया जाए। इसके बाद 23 सितंबर 2021 को सरकार की तरफ से कोर्ट में ये अंडरटेकिंग दी गई कि पुराने नियम के आधार पर ही मेन्स का रिजल्ट घोषित किया जाएगा। लेकिन जब 31 दिसंबर को मेन्स का रिजल्ट आया तो संशोधित नियम के आधार पर जारी किया गया।