गोपाल देवकर, बुरहानपुर. जिले के उद्योग नगर में संचालित अधिकांश साइजिंग उद्योगों (Sizing Industries) में कोयले की जगह लकड़ी का उपयोग किया जा रहा है। वन विभाग (Forest Department) को जब इसकी जानकारी मिली तो 16 फरवरी को गोदाम सील (Warehouse Seal) किया गया। मौके से भारी मात्रा में लकड़ी जब्त की गई थी। 22 फरवरी को वन विभाग की टीम आर.आर फेब्रिक्स (RR Fabrics) साइजिंग उद्योग के सील किए गए गोदाम में लकड़ी की जांच करने पहुंची। यहां से लगभग 30 ट्रक लकड़ी पकड़ी गई, जिसकी कीमत लाखों में बताई जा रही है। लेकिन वन विभाग की इस कार्रवाई पर सवाल खड़े होने लगे हैं। क्योंकि विभाग ने छापामारी (Raid) में भारी मात्रा में अवैध लकडी जब्त की थी, साथ में यहां से दो ट्रकों को भी पकड़ा था। इनमें से एक आयशर था और एक बड़ा ट्रक था। वन विभाग ने आयशर को पकड़ लिया लेकिन दूसरा गायब कर दिया।
यह है मामला: उद्योग नगर में संचालित आरआर फेब्रिक्स में 16 फरवरी को ट्रक से लकड़ी खाली हो रही थी। तभी एक गोपनीय शिकायत पर पटवारी और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर कार्रवाई की थी। कार्रवाई के दौरान पंचनामा बनाकर लकड़ियां जब्त की गईं थी। अब विभाग इसकी जांच में जुटा है। यहां दो ट्रकों को भी पकड़ा गया था, जिसमें एक आयशर और एक बडा ट्रक था। वन विभाग ने आयशर ट्रक को जब्ति में ले लिया और बड़े ट्रक को मौके से फरार होना बता दिया।
ट्रक बबूल की लकड़ी लेकर निकला था आम की होगी: इस कार्रवाई में एक फोटो सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता हैं कि वन विभाग की टीम ट्रक के सामने खड़ी है। वन विभाग ने मौके पर पंचनामा तैयार किया है। इसमें बताया गया है कि एक ट्रक जिसका नंबर एमएच-19, जेड 3363 है, जो फेक्ट्री में लकडियां खाली कर रहा था। आगे इसी पंचनामा में लिखा है कि चालक से पूछताछ भी की गई। बाद में लिखा है कि मौके से ट्रक फरार हो गया। ऐसा कैसे हो सकता है क्योंकि मौके पर वन विभाग की टीम के साथ पुलिस भी मौजूद थी। ट्रक के द्वारा यह लकड़ी महाराष्ट्र के बुलढाणा से आ रही थी। टीपी में लिखा है कि ट्रक में बबूल की लकड़ी है। जबकि फैक्टी में जो लकड़ी उतर रही है वह आम की पाई गई।
वन विभाग ने चुप्पी साधी: जब इस संबंध में वन विभाग के एसडीओ दिनेश यादव से फोन पर बात की तो उन्होंने कहा कि इस प्रकार का कोई मामला सामने नहीं आया हैं। उन्होंने बताया कि जब मौके पर वन विभाग की टीम पंहुची तो यहां पर कोई ट्रक मौजूद नहीं था। जबकि पंचनामें में साफ-साफ लिखा गया है कि मौके पर ट्रक था। इस पूरे मामले में वन विभाग चुप्पी साधे हुए है। कोई भी अधिकारी कैमरे पर बात करने के लिए तैयार नहीं है। वहीं, फेक्ट्री के वकील ने आरोप लगाया है कि कुछ लोगों द्वारा 10 लाख रुपए मांगे गए थे। नहीं देने पर इस प्रकार की कार्रवाई की गई है।