RATLAM: प्राथमिक उप स्वास्थ्य में लगा था ताला, फर्श पर हुई आदिवासी महिला की डिलीवरी, प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल

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The Sootr CG
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RATLAM: प्राथमिक उप स्वास्थ्य में लगा था ताला,  फर्श पर हुई आदिवासी महिला की डिलीवरी, प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल

आमीन हुसैन, RATLAM. रतलाम से शर्मनाक तस्वीर सामने आई है। जिले के बाजना ब्लॉक (Bajna Block) के कुंदनपुर स्वास्थ्य केंद्र (Kundanpur Health Center) पर ताला लगा होने से, महिला की बाहर खुले में ही डिलीवरी (Delivery) करवानी पड़ गई। गर्भवती आदिवासी महिला बाकी गांव (Baki Village) की रहने वाली है। मामले का वीडियो इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग (Health Department) की कार्यप्रणाली को उजागर किया है।



यह है पूरा मामला



बाजना विकासखंड के ग्राम बाकी निवासी लक्ष्मी पत्नी महावीर डोडियार (19) को 11 अगस्त को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन गांव से चार किमी दूर कुंदनपुर उपस्वास्थ्य केंद्र पर शाम करीब छह बजे लेकर पहुंचे। यहां केंद्र पर ताला लगा हुआ था। इधर महिला की स्थिति भी बिगड़ने लगी तो परिजन ने केंद्र के बाहर ही जमीन पर जैसे-तैसे प्रसूति करवाई। कुछ देर बाद एएनएम रेशम चारेल भी केंद्र पर पहुंच गई, लेकिन तब तक महिला ने बच्चे को जन्म दे दिया था। स्वजन महिला व शिशु दोनों को वापस घर ले गए। फिलहाल दोनों की तबीयत ठीक बताई गई है। फिलहाल जच्चा और बच्चा को लाकर उप स्वास्थ्य केंद्र भर्ती करवा दिया गया है। दोनों के स्वस्थ होने का दावा भी किया जा रहा है।



गर्भवती होती रही परेशान



मौके पर मौजूद प्रसूता के परिजन एवं भड़ानकला के पूर्व सरपंच चेतन डोडियार ने बताया कि गर्भवती महिला और परिजन करीब एक घंटे तक परेशान होते रहे लेकिन कोई नहीं मिला। प्रसव होने के बाद स्वास्थ्य केंद्र के अमले ने दूसरों से पूछकर प्रसूता का नाम-पता रजिस्टर में दर्ज कर औपचारिकता निभाई। डोडियार के अनुसार आदिवासी अंचल में स्वास्थ्य सुविधाओं का यही हाल है। वाकी गांव से कुंदनपुर 4 किमी और बाजना करीब 13 किमी दूर है। 



जिम्मेदारों ने ये कहा



बाजना बीएमओ डॉ अनम शेख से मामले को लेकर कहा कि उप स्वास्थ्य केंद्र पर एक एएनएम रेशम चारेल रहती हैं। वे गुरुवार को शाम तक केंद्र पर थीं। एक डिलीवरी करवाने के बाद परिवार में गमी होने के कारण, वे थोड़ी देर में आने का कहकर चली गईं थी। लौटने पर एएनएम ने प्रसूता के परिजन को जच्चा-बच्चा को केंद्र में ही रखने की सलाह दी। दोनों का केंद्र में उपचार किया गया।



सरकार केवल अपनी पीठ थपथपा रही



राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल है यह किसी से छिपा नहीं है। खासकर राज्य के सुदूर अंचलों में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से नदारद हैं। सरकार केवल अपनी पीठ थपथपा रही है जिसका जमीनी हकीकत से कोई लेना देना नहीं है। इसकी जीती जाती मिसाल रतलाम जिले में देखी गई। प्रदेश में बुनियादी सुविधाओं को तरस रही जनता की परेशानी से किली को सरोकार नहीं है। सरकार भले ही लाख दावे कर ले लेकिन आदिवासी अंचल में स्वास्थ्य विभाग में फैली अव्यवस्थाएं कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। आदिवासी महिलाएं आज भी खुले में बच्चों को जन्म दे रही है। वहीं, बाजना बीएमओ बी.जे. जायसवाल ट्रेंनिंग के लिए बाहर हैं, उन्होंने इस मामले में जांच की बात कही है। 




 


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