जीवाजी विश्वविद्यालय के गोपनीय टेबुलेशन चार्ट से बने हैं रावण ,मेघनाद और कुम्भकर्ण के पुतले ,शाम को फूंके जाएंगे

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Dev Shrimali
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जीवाजी विश्वविद्यालय के गोपनीय टेबुलेशन चार्ट से बने हैं रावण ,मेघनाद और कुम्भकर्ण के पुतले ,शाम को फूंके जाएंगे

GWALIOR.हजारो वर्ष पहले रावण ने पूरी दुनिया में खलबली मचाई थी लेकिन इस बार रावण के पुतलों ने ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय प्रशासन में खलबली मचा दी है। इन पुतलों ने जीवाजी विश्वविद्यालय की बड़ी लापरवाही उजागर कर विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर सवालियानिशान लगा दिया है । विश्वविद्यालय के गोपनीय विभाग में रखे छात्रों के टेबुलेशन चार्ट जिन्हे कि सुरक्षित रखा जाना चाहिए था लेकिन वे रावण,कुम्भकरण और मेघनाद के पुतलों में  और शाम को धमाकों के साथ वे राख में बदल जाएंगे। ये कैसे बाहर आ आगये और कैसे रवां बनाने वाले कारीगरों के हाथ पढ़कर बर्वाद हो गए ?इन सवालों का जबाव फिहाल किसी के पास नहीं हैं। 



बदनामी में एक और दाग 



ग्वालियर का जीवाजी विश्वविद्यालय अपनी गैर जिम्मेदारी से भरी कार्यप्रणाली और नकल माफियाओं के सहयोग के लिए  सदैव से बदनाम रहा है।और अब  जीवाजी विश्वविद्यालय की प्रबंधन के जुड़ा एक और कारनामा सामने आया है जिसमें हाल में ही टेबुलेशन चार्ट से रावण सहित मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले बनाए  गए हैं ।पहले से ही छात्रों की परीक्षा परिणाम की लेटलतीफी और नर्सिंग फर्जीवाड़े की खबरों के बाद अब टेबुलेशन चार्ट को नियम विरुद्ध तरीके से कबाड़े में बेचने से प्रबंधन कटघरे में खड़ा हो गया है।खास बात यह है कि यह टेबुलेशन चार्ट स्नातक परीक्षाओं के साल 2020 से जुड़े हुए हैं। जब जिम्मेदार अधिकारियों से इस मामले को लेकर बातचीत की तो अधिकारियों ने तत्काल पुतलों  पर लगे टेबुलेशन चार्ट को ऊपर से पेंट करा दिया है।अब इस मामले में जीवाजी विश्वविद्यालय का कोई भी अधिकारी सामने आने को तैयार नहीं है।



सात रूपये किलो में बेच दिया छात्रों का रिकॉर्ड 



 आज  दशहरा है और दशहरे के मौके पर शहर के सबसे बड़े रावण मेघनाथ और कुंभकरण की पुतले फूलबाग पर  जलाये जाएंगे। खास बात यह है कि यह तीनों पुतले जीवाजी विश्वविद्यालय की टेबुलेशन चार्ट से बनाए गए हैं। इसको लेकर पुतले बना रहे कारीगर से बातचीत की तो उनका कहना है कि वह बाजार से रद्दी के रूप में 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से इन कागजो को लेकर आये है उन्हें नहीं पता यह कागज किसका है और कहाँ से आया है और उसमें क्या छापा है ? है।जिस स्क्रैप कारखाने से इन कागजों को खरीद कर लाया है उसका जीवाजी विश्वविद्यालय से स्क्रैप खरीदने का अनुबंध है और वह लगभग 5 से 6 साल से जीवाजी रद्दी खरीद रहा है।



टेबुलेशन गोपनीय दस्तावेज होता है 



जानकारों की मानें तो जीवाजी विश्वविद्यालय इन टेबुलेशन चार्ट को न तो स्क्रैप के रूप में बेच सकता है और न ही इन्हें उजागर कर सकता है, क्योंकि यह गोपनीय मामला है।  विश्वविद्यालय में टेबुलेशन चार्ट से ही मार्कशीट तैयार होती है और छात्रों का वेरिफिकेशन होता है क्योंकि यह टेबुलेशन चार्ट साल 2020 के है।जब स्क्रैप व्यापारी से बातचीत की तो उसका कहना है कि यह रद्दी के रूप में टेबुलेशन चार्ट  हमारे यहां से नहीं बेचे गए हैं।नियम है कि विश्वविद्यालय उत्तर पुस्तिका सहित अन्य स्टेशनरी को विशेष नियमावली के तहत ही पुरानी होने पर बेच सकता है विश्वविद्यालय परिसर में ही उत्तर पुस्तिकाओं और अन्य प्रिंटेड सामग्री को नष्ट करना होता है लेकिन इस मामले से विश्वविद्यालय प्रबंधन और ठेकेदार की सांठगांठ एक बार फिर उजागर हो गई है।



विवि में हड़कंप लेकिन साधी चुप्पी 



यह मामला उजागर होने के बाद विश्वविद्यालय में हड़कप मच गया है लेकिन कुलपति से लेकर रजिस्ट्रार तक कोई छोटा या बड़ा अफसर इस मामले मं जुबान खोलने को तैयार नहीं है सभी ने पूरी तरह से चुप्पी साध ली है और मीडिया से बात करने तक को तैयार नहीं हैं। 


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