Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में बुधवार को निजी नर्सिंग कॉलेजों को दी गई मान्यता में हुए फर्जीवाड़े से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। प्रशासनिक न्यायाधीश शील लागू और जस्टिस द्वारिकाधीश बंसल की डबल बेंच के समक्ष याचिकाकर्ता एसोसिएशन की ओर से बताया गया कि कई कॉलेजों को डुप्लीकेट फैकल्टी होने पर
भी क्लीन चिट और मान्यता दे दी गई है। इस पर कोर्ट ने मध्यप्रदेश नर्सिंग काउंसिल के रजिस्ट्रार और चिकित्सा शिक्षा विभाग के निर्देशक से शपथ पत्र पर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी।
नर्सिंग काउंसिल की ओर से पेश हुए उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के निर्देश पर कमेटी गठित की गई जिसकी जांच के आधार पर 200 में से 70 कॉलेजों की मान्यता निरस्त की गई है। उन्होंने आग्रह किया कि उसी तरह मध्यप्रदेश के बचे 453 कॉलेजों की जांच के लिए भी एक कमेटी गठित की जाए। इस पर याचिकाकर्ता एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता आलोक वागरेचा ने कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए कोर्ट को दो कॉलेजों का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि ग्वालियर
हाईकोर्ट के आदेश पर हुई जांच में जिन कॉलेजों को क्लीनचिट दी गई है, उन कॉलेजों में कार्यरत टीचिंग फैकल्टी भिन्न-भिन्न संस्थाओं में कार्यरत थे। उसके बावजूद नर्सिंग कॉलेजों को साल 2021-22 की मान्यता भी दे दी गई।
जांच पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए अधिवक्ता वागरेचा ने कहा कि पुनः नर्सिंग काउंसिल की कमेटी को जांच सौंपना न्यायसंगत नहीं है। इस पर कोर्ट ने काउंसिल के रजिस्ट्रार व चिकित्सा शिक्षा विभाग डायरेक्टर से स्पष्टीकरण मांग लिया है।