Jabalpur. नर्सिंग कॉलेज के फर्जीवाड़े में हाईकोर्ट की सख्ती के चलते नर्सिंग काउंसिल ने 93 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता अस्थाई तौर पर निलंबित की थी। लेकिन नई जानकारी के मुताबिक नर्सिंग काउंसिल ने बिना किसी जांच और सत्यापन के 93 में से 80 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता को पुनः बहाल कर दिया है। जिस पर सवाल उठने लगे हैं। इस पूरे मामले को उठाने वाले याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इन कॉलेजों के दस्तावेज की महज औपचारिक जांच के बाद संचालन की अनुमति दे दी गई है। जबकि, इन कॉलेज के भवनों और फर्जी फैकल्टी के संबंध में हाईकोर्ट के समक्ष गंभीर आरोप लगाए गए थे।
यह है मामला
नर्सिंग काउंसिल की ओर से कोर्ट में 23 अगस्त को शपथ पत्र पेश कर बताया गया था कि 2020-21 में खुले 453 नर्सिंग कॉलेजों में से 94 नर्सिंग कॉलेजों को इस वर्ष मान्यता नवीनीकरण की अनुमति नहीं दी गई है। इसके अलावा अन्य 93 नर्सिंग कॉलेजों को संसाधन, भवन उपलब्धता के संबंध में जारी नोटिस का जवाब न देने के चलते मान्यता 22 अगस्त को निलंबित कर दी गई। इसके एक सप्ताह बाद ही 29 अगस्त को काउंसिल ने निलंबित 93 में से 80 कॉलेजों की बिना जांच के मान्यता बहाल कर दी। दिलचस्प यह है कि काउंसिल ने अपने आदेश में खुद स्वीकार किया कि भवनों के भौतिक सत्यापन और फैकल्टी की स्क्रूटनी के बिना ही मान्यता अस्थाई रूप से बहाल की गई।
छात्रों के भविष्य से होगा खिलवाड़
दूसरी तरफ मामले में याचिकाकर्ता एडवोकेट विशाल बघेल का कहना है कि बिना जांच पड़ताल के अपात्र कॉलेजों को मान्यता दी गई है।ये कॉलेज छात्रों को प्रवेश देंगे।इससे छात्रों का भविष्य खराब होगा। उन्होंने कहा कि नर्सिंग काउंसिल ने महज औपचारिकता के लिए मान्यता संबंधी दस्तावेजों की सरसरी जांच की और बिना सत्यापन कराए एक बार फिर मान्यता बहाल कर दी है। बेहतर भविष्य का सपना संजोए छात्र इन सभी बातों से अनभिज्ञ होते हैं और जो छात्र ऐसे कॉलेजों में एडमिशन ले लेंगे, उनके भविष्य का भगवान ही मालिक होगा।