उज्जैन. एंटीबायोटिक का असर आम आदमी के शरीर पर कैसा रहेगा, इसे लेकर उज्जैन के RDGMC ने रिसर्च शुरू की। रिसर्च की शुरुआत 21 सितंबर को हुई। एक साल तक चलने वाली रिसर्च ICMR को सौंपी जाएगी। यह मध्यप्रदेश के लिए पहला मौका है, जब देशभर में लागू होने वाली जांच के ट्रीटमेंट का प्लान उज्जैन में चल रहा है। अब किसी भी मरीज को एंटीबायोटिक देने से पहले डॉक्टरों को ये तय करना होगा कि उसे बुखार में कौन सी कारगर दवा दी जाए।
इस रिसर्च का लाभ क्या होगा
मरीजों को इंफेक्शन का पता लगाने के लिए कई टेस्ट करवाने पड़ते है। इस रिसर्च का सबसे बड़ा फायदा होगा कि उन्हें पता होगा कि कौन सी दवा लेनी है और कब लेनी है। डॉक्टर ने ज्यादा जद्दोजहद नहीं करनी पड़ेगी। अलग-अलग एंटीबायोटिक के रिक्शन से बच सकेंगे।
3100 लोगों पर होगा टेस्ट
इस रिसर्च में 6 महीने के बच्चे से लेकर 60 साल के बुजुर्ग को शामिल किया जाएगा। इस दौरान पता लगाया जाएगा कि बुखार के कारण क्या है। मार्केट में इंफेक्शन की जांच करवाना काफी महंगा है, इस रिसर्च से लोगों को काफी फायदा होगा। कॉलेज अभी 1600 एडल्ट और 1500 बच्चों पर टेस्ट करेगा। बाद में इसकी रिपोर्ट ICMR को भेजेगा। ICMR इसकी जांच के बाद देशभर के अस्पतालों में ट्रीटमेंट लागू करेगा।
मरीजों के डेटा को स्टडी किया जाएगा
आरडी कॉलेज के अनुसार, जिन चार शहरों को चुना गया है। उन्हें मरीजों के रिकॉर्ड जमा कराने होंगे। सभी जगहों के डेटा को स्टडी की जाएगी। इसके बाद तय किया जाएगा, भारत में कितने तरीके के बैक्टीरियल इंफेक्शन और वायरल इंफेक्शन है।