रीवा : SP ने बदला ट्रेंड, खाकी वर्दी में छिपे भ्रष्ट्राचारियों की पकड़ी गर्दन

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Rakesh Mishra
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रीवा : SP ने बदला ट्रेंड, खाकी वर्दी में छिपे भ्रष्ट्राचारियों की पकड़ी गर्दन

Rewa. प्रदेश सरकार (state government) की जीरो टॉलरेंस की बातें सियासी मुलम्मा साबित हो रही हैं, लेकिन लोकायुक्त (Rewa Lokayukta) ने अपना ट्रैक अवश्य बदल दिया। यह परिवर्तन रीवा में एसपी धाकड़ के आने के बाद अब तक दबोचे गए मामलों में साफ दिखता है। रीवा लोकायुक्त कार्यालय के अधिकार क्षेत्र में समूचा विन्ध्य (Vindhya Kshetra) आता है। लोकायुक्त की स्थानीय स्थापना के इतिहास में ऐसा पहली बार है, जब उसका फौलादी पंजा इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्ट वर्दीधारियों के गिरेबान तक पहुंचा। यही नहीं महिलाएं भी रिश्वत के मामले में बेनकाब हुईं। लेकिन सबसे ज्यादा खौफ पुलिस विभाग ( Police Department) में  देखने को मिल रहा है। ये बात और है कि वर्दी के पीछे अभी कई और रिश्वतखोर (Bribery) हैं, जिनको बेपर्दा किए जाने की आवश्यकता है।लोकायुक्त रीवा ने नवंबर 2021 से अब तक कुल 38 ट्रैप की कार्रवाई में 9 प्रकरण अकेले पुलिस विभाग के हैं, जिसमें दो निरीक्षक स्तर के अधिकारी शामिल हैं।





पुलिस विभाग में घूसखोरी





सरकारी अमले में घूसखोरी अब शिष्टाचार का रूप ले चुकी है। अब तक सबसे ज्यादा भ्रष्ट विभाग में शुमार राजस्व विभाग (Revenue Department) को पिछले कुछ सालों से पुलिस और शिक्षा विभाग (Education Department) ने पीछे छोड़ दिया। भ्रष्टाचार निरोधक मामलों के जानकार और आंकड़े बताते हैं कि पुलिस विभाग में ऐसा कोई कार्य नहीं बचा है, जहां लेन-देन सिस्टम में न हो। शिकायत दर्ज कराने से लेकर विवेचना मादक और प्रतिबंधित पदार्थो की तस्करी, शराब के अवैध कारोबार, जुआ-सट्टा एवं अन्य आपराधिक मामलों में कार्रवाई सीधे लेन-देन पर तय होती है।





वर्दी में गहरे दाग 





देशभक्ति जन सेवा का स्लोगन वाले पुलिस विभाग में रिश्वत का चलन जिस तेजी से बढ़ा है, उससे सामाजिक और आपराधिक घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है। लोकायुक्त रीवा पुलिस अधीक्षक कार्यालय के आकड़े बताते हैं कि वर्दी में दाग बहुत गहराई तक पहुंच चुका है। 2022 के इन 5 महीनों  में 9 प्रकरण इस विभाग से आए हैं। जिसमें थाना प्रभारी से लेकर आरक्षक तक लिप्त हैं। सबसे बड़ी कार्रवाई दो निरीक्षकों सुरेन्द्र सिंह बघेल और वीरेन्द्र सिंह परिहार के रंगे हांथ पकड़े जाने की है।





गोविदगढ़ ऐसा थाना जहां दो बार हुई ट्रैप कार्रवाई 





रीवा जिले का गोविन्दगढ़ एक ऐसा थाना है, जहां 60 दिनों के अन्दर दो बार लोकायुक्त ने ट्रेप की कार्रवाई की। संभवत: यह मध्य प्रदेश का पहला मामला होगा, जब दो महीने में दूसरी बार थाना प्रभारी और उसके मातहत पुलिसकर्मी रिश्वत लेते रंगे हांथ पकड़े गए। पहली कार्रवाई 10 नवम्बर 2021 को हुई थी। जिसमें तत्कालीन थाना प्रभारी निरीक्षक सुरेन्द्र सिंह बघेल और सहायक उपनिरीक्षक देशराज सिंह क्रमश: दस हजार और 3 हजार रुपए मारपीट के मामले में आरोपी को बचाने के एवज में लिए थे। इसके दो महीने बाद 13 फरवरी को इसी थाना के प्रभारी निरीक्षक वीरेन्द्र सिंह परिहार, प्रधान आरक्षक जयप्रकाश सिंह बबुआ और आरक्षक राजकुमार प्रजापति 6 हजार और 3 हजार घूंस लेते पकड़े गए थे। 





ये भी हुए ट्रैप 





9 दिसम्बर 2021 को लोकायुक्त की टीम ने चोरहटा थाना के आरक्षक अनुरोध तिवारी को 20 हजार रुपए रिश्वत के साथ पकड़ा गया था। थाने का आरक्षक अनुरोध एक सटोरिए से बेधडक़ सट्टा कारोबार संचालन करने के नाम पर चोरहटा थाने को मैनेज करने के लिए लिया था। इसके अलावा 23 जनवरी 22 को रामसुरेश यादव कार्यवाहक प्रधान आरक्षक रामनगर सतना और 25 जनवरी को जानकी प्रसाद तिवारी कार्यवाहक प्रधान आरक्षक नवानगर सिंगरौली रंगे हांथ पकड़े गए थे। 19 मई 22 कोई शिव कुमार पनिका प्रधान आरक्षक पुलिस सहायता केन्द्र सिंगरौली को पकड़ा गया।





परियोजना अधिकारी निकली घूसखोर





महिला बाल विकास विभाग परियोजना मऊगंज अन्तर्गत परियोजना अधिकारी माया सोनी और उनकी अधिनस्थ पर्यवेक्षक अंजू त्रिपाठी को भी लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक गोपाल सिंह धाकड़ की टीम ने रंगे हांथ पकड़ा था। अब तक कुल 38 कार्रवाई लोकायुक्त ने बीते पांच महीने में किया है, जिसमें कुल 51 सरकारी मुलाजिम आरोपी बनाए गए है।





गोपाल सिंह धाकड़, एसपी लोकायुक्त रीवा ये कहा 





रिश्वत लेने के मामले में सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों का कोई नया प्रावधान नहीं है। पहले से लोकायुक्त के नियम में है, लेकिन भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ऊपर से भी निर्देश होते हैं। ऐसे में चाहे पुलिस विभाग हो या कोई अन्य सरकारी विभाग, उसमें कार्यरत लोक सेवकों के कदाचरण अक्षम्य हैं। कार्रवाई से सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाना प्रमुख उद्देश्य रहता है। हमारी आम जन से अपील है कि वे किसी कार्य के लिए किसी भी प्रकार की घूस सरकारी लोक सेवक को न दें। 



 



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