Indore. विधानसभा चुनाव करीब आते ही ‘विकास’ ने गांवों में ताक-झांक शुरू कर दी है। हाल में सरकार ने जब फैसला किया कि चुनाव से पहले प्रदेश में करीब ढाई हजार किमी लंबी सड़कें बनाएंगे। इसके बाद कुछ विधायकों में इन सड़कों को झपटने की होड़ मच गई है तो कुछ को पता ही नहीं चला कि विकास का अवसर उनके हाथ से फिसल गया है। इंदौर जिले में सबसे ज्यादा सड़के मंत्री तुलसी सिलावट ले उड़े, जबकि जिले की ही दूसरी मंत्री उषा ठाकुर खाली हाथ रहीं।
चार प्रमुख शहरों की बननी हैं सड़कें
प्रदेश के चार प्रमुख जिलों इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर में दस किमी से ज्यादा लंबी करीब 700 से ज्यादा सड़कें बनाने की तैयारी की है, जिन्हें लोक निर्माण (पीडब्ल्यूडी ) बनाएगा। कुछ समय पहले सरकार ने जब विकास के मुद्दों पर विधायकों से प्रस्ताव मांगे थे। तब कमोबेश सभी ने सड़क निर्माण की मांग उठाई थी, उसके बाद इस योजना का मूर्तरूप देने की कवायद शुरू हुई।
इंदौर में तुलसी ने मारी बाजी
इंदौर जिले के लिए तकरीबन डेढ़ दर्जन सड़कें मंजूर हुई हैं, जिनमें से 12 सड़कें तो अकेले सांवेर तहसील की ही हैं। यह जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट का विधानसभा क्षेत्र है। बाकी छह सड़कें कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी अपने विधानसभा क्षेत्र राऊ के लिए ले उड़े। जिले की ही अन्य मंत्री उषा ठाकुर अपने विधानसभा क्षेत्र महू के लिए कोई सड़क नहीं ले पाईं। महू विधानसभा का करीब 70 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण है।
देपालपुर को कुछ नहीं
जिले की बड़ी ग्रामीण विधानसभा देपालपुर भी है, लेकिन वहां एक भी सड़क मंजूर नहीं हुई है। इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कांग्रेस के विशाल पटेल करते हैं। हालांकि, यहीं से दो बार विधायक रहे बीजेपी के मनोज पटेल भी राजनीति करते हैं, सीएम के चहेते भी हैं, लेकिन वे भी अपनी सरकार से क्षेत्र को कोई सड़क नहीं दिलवा सके।