Bhopal. मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) को 29 साल पहले लिए गए एक फैसले का बेहद मलाल हो रहा है। ये खुद दिग्विजय ने माना कि उन्होंने ये फैसला लेकर गलती की थी। दरअसल पंचायत राज अधिनियम (Panchayat Raj Act) में धारा 40 है, जिसमें शिकायत होने पर सरपंच को हटाने का अधिकार एसडीएम (SDM) को होता है। दिग्विजय का मानना है कि इस नियम के तहत अधिकारियों को अधिकार देने की वजह से पंचायत राज सिस्टम का नुकसान हुआ है। बजाए इसके लिए ट्रिब्यूनल (Tribunal) का गठन किया जाना चाहिए था। द सूत्र ने जब इस पूरे मामले की पड़ताल की, एक्सपर्ट्स से बात की तो ये निकलकर सामने आया कि यदि धारा 40 के क्रियान्वयन का अधिकार अधिकारियों को नहीं दिया जाएगा, तो भ्रष्टाचार बढ़ जाएगा।
सरपंचों को हटाने का अधिकार अधिकारियों को?
आखिरकार दिग्विजय क्यों कह रहे हैं कि धारा 40 का अधिकार अधिकारियों को देना उनकी भूल थी। दरअसल पंचायत अधिनियम की धारा 40 में गड़बड़ी करने वाले सरपंचों को हटाने का अधिकार अधिकारियों को है। पंचायतों के प्रतिनिधियों का कहना है कि अधिकारी सत्तारूढ़ दल के साथ मिलकर इसका दुरूपयोग करते हैं। अब पंचायत प्रतिनिधियों का ये आरोप क्या सही है। इस संबंध में द सूत्र ने ग्रामीण एवं पंचायत विभाग (Rural and Panchayat Department) की पूर्व प्रमुख सचिव वीणा घाणेकर (Former Principal Secretary Veena Ghanekar) से बातचीत की तो उन्होंने ऐसे आरोपों को सिरे से नकारा। ये भी कहा कि अधिकारी पूरी जांच के बाद ही सरपंचों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं।
पंचायत विभाग के आंकड़े कुछ और ही कहते
धारा 40 के तहत कुल 483 मामले दर्ज किए गए है। उनमें से केवल 27 मामले ही निराकृत हुए यानी या तो सरपंच हटाए गए या बहाल हुए और 456 मामले पेंडिंग हैं। ये पंचायत विभाग का आंकड़ा है यानी 456 सरपंच इंतजार कर रहे हैं हटाए जाने या बहाली का। तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने इस एक्ट में संशोधन के लिए एक कमेटी बनाई थी और कमेटी की सिफारिशों पर अमल होता उससे पहले सरकार गिर गई। यानी कुल मिलाकर पंचायत चुनाव से पहले कांग्रेस ने धारा 40 का दांव खेला है और एक तरह से सरपंचों की दुखती रग पर हाथ रखकर सहलाने की कोशिश की है।