SINGRAULI. त्रि स्तरीय पंचायत (three tier panchayat) व नगरीय निकाय चुनाव (urban body elections) के बाद सिंगरौली (Singrauli) की राजनीति इन दिनों अध्यक्ष-उपाध्यक्ष (President Vice President) के खेल में व्यस्त है। हालांकि इसमें देवसर, चितरंगी और बैढन जनपद पंचायत (Baidhan Janpad Panchayat) भी शामिल हैं। लेकिन खेल का प्रमुख केन्द्र बिन्दु जिला पंचायत और नगर निगम परिषद अध्यक्ष का ही चुनाव है। मुख्य खिलाड़ी भी बीजेपी और कांग्रेस ही हैं और इनका लक्ष्य बहुमत का आंकड़ा छूना है। दिन-प्रतिदिन रोचक हो रहे इस शह और मात के खेल में मोहरे अदलने-बदलने की कवायद जहां तेज कर दी गई है।
जिला पंचायत की अध्यक्षी में फंसा उपाध्यक्षी का पेंच
त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव का परिणाम आने के बाद अब जनपद और जिला पंचायत के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के निर्वाचन हेतु प्रशासन और उम्मीदवार स्तर पर प्रकिया तेज हो गई है। सदस्यों के निर्वाचन के 15 दिवस के भीतर सम्मिलन के निर्देश के परिपालन हेतु, जहां प्रशासन जुट गया है। शासन स्तर पर भी जनपद पंचायतों हेतु प्रथम चरण में 27 जुलाई और द्वितीय चरण में 28 जुलाई की तिथि सम्मिलन हेतु घोषित कर दी गई हैं। जिला पंचायत के सम्मिलन हेतु 29 जुलाई निर्धारित है। इनकी अध्यक्षी-उपाध्यक्षी पाने के जुगाड़ में बीजेपी और कांग्रेस के रणनीतिकारों ने भी जुगलबंदी, क्रॉस वोटिंग, लेन-देन जैसी तमाम संभावनाओं के प्रयोग के साथ मोहरे सेट करने का प्रयास तेज कर दिया है।
अकेले जिला पंचायत की बात करें तो अनुसूचित जनजाति महिला हेतु आरक्षित 14 सदस्यीय सिंगरौली सीट पर 11 वार्डों में कांग्रेस समर्थित एवं 2 पर बीजेपी तथा एक वार्ड में आप समर्थित उम्मीदवार सदस्य निर्वाचित हुए हैं। यहां यूं तो पहली नजर में ही कांग्रेस का पलड़ा भारी दिखता है। और अनुसूचित जनजाति की निर्वाचित महिला जिला पंचायत सदस्य भी वार्ड 7 से सोनम सिंह एवं वार्ड 4 से यशोदा पनिका सहित महज दो ही हैं, जिन्हे कांग्रेसी खेमे का दावा किया जा रहा है। एक तरह से कांग्रेस निश्चिंत भी है कि उसका अध्यक्ष बनना तय है। लेकिन इस हेतु अभी दिल्ली दूर ही नजर आ रही है क्योंकि संख्या बल में कथित तौर पर कमजोर होने के बाद भी बीजेपी वाकओवर देने को कतई तैयार नहीं दिख रही है। बीजेपी द्वारा जहां सोनम और यशोदा में से किसी एक या फिर दोनों को अपने पाले में लाने का प्रयास तेज कर दिया गया है। वहीं उपाध्यक्षी के दमदार उम्मीदवार भी कांग्रेस की राह पर अड़ंगा फंसाने को आतुर हैं। दरअसल माना यह जा रहा है कि अध्यक्ष पद आदिवासी महिला के लिए रिजर्व होने के बाद उपाध्यक्ष अनारक्षित ही होना तय है। इसलिए कई धनबली-बाहुबलियों की नजर लगी है, जिनमें अधिकांश कांग्रेस खेमे के ही माने जा रहे हैं। चर्चाओं पर भरोसा करें तो इनके द्वारा भारी भरकम बोली के साथ सदस्यों को अपनी लाबी में शामिल किया जा रहा है। शर्त रखी जा रही है कि उपाध्यक्षी दे जाओ, अध्यक्षी फ्री में ले जाओ।
नगर निगम में चल रही अगड़ा- पिछड़ा जुगलबंदी
वैसे तो नगर निगम के निर्वाचित प्रतिनिधियों के सम्मिलन की तिथि अभी निर्धारित नहीं है लेकिन यहां भी परिषद अध्यक्ष पद को लेकर हलचल तेज देखी जा रही है। 45 सदस्यीय परिषद में सिंगरौली नगर निगम के मतदाताओं ने बहुमत के आंकडे 23 पर पार्षदों की जीत सुनिश्चित कर बीजेपी की राह आसान जरूर कर दिया है। लेकिन परिषद अध्यक्ष का पद गुटबाजी व जातिवाद से जूझ रही सिंगरौली बीजेपी के खाते में ही जाएगा यह कह पाना फिलहाल मुश्किल है। क्योंकि टिकट वितरण के समय से उपजा असंतोष अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। लिहाजा परिषद गठन के लिए भी अगड़ा-पिछड़ा के जद्दोजहद भरपूर दिख रही है। कई दावेदार भी तैयार हो रहे हैं। अधिकृत दावेदार कौन होगा यह पार्टी रणनीतिकारों के पाले में है। रहा सवाल कांग्रेस का तो 12 पार्षदों के साथ वह भी मैदान में उतरने को तैयार है। बैठकों का दौर शुरू है। आप के 5, बीएसपी के 2 और 3 निर्दलीय पार्षदों पर भी दोनों दल नजर जमाए हुए हैं। बोली दर बोली घट बढ़ रही है। अफवाहें भी भरपूर उड़ रही हैं।