Jabalpur. जबलपुर के सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल द्वारा संचालित आयुष्मान योजना के फर्जीवाड़े में करोड़ों रुपए डकारे जाने के मामले में शुरूआत से ही यह शक जताया जा रहा है कि बिना प्रशासनिक मदद के इतना बड़ा स्कैम दो साल तक जारी रखना मुमकिन ही नहीं है। इस घोटाले में आयुष्मान योजना से जुड़े अधिकारियों में होटल वेगा पर की गई कार्रवाई के बाद से ही धपसठ देखी जा रही थी। अस्पताल से मिले कंप्यूटर डाटा की पड़ताल के बाद एसआईटी अब तक दो बार आयुष्मान योजना के नोडल अधिकारी को पूछताछ के लिए नोटिस थमा चुकी है लेकिन दोनों ही बार नोडल अधिकारी डॉ धीरज दवंडे इस पूछताछ से बचते नजर आए। अब एसआईटी ने उन्हें तीसरा नोटिस दिया है।
अब भी नहीं हुआ पेश तो हो सकती है कार्रवाई
पुलिस सूत्रों की मानें तो होटल वेगा में हुई कार्रवाई के दौरान टीम का हिस्सा रहे डॉ धीरज दवंडे दो बार एसआईटी के नोटिस पर हाजिर नहीं हुए हैं। ऐसे में तीसरी बार भी वह जांच दल के सामने अपने बयान दर्ज नहीं कराता तो उस पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है। दूसरी तरफ आयुष्मान योजना के जिला समन्वयक भुवन साहू की भूमिका को भी संदिग्ध पाकर जांच शुरू कर दी गई है। हालांकि होटल वेगा में हुई कार्रवाई के दूसरे दिन आयुष्मान योजना से जुड़े एक अधिकारी ने कतिपय डॉक्टरों पर उन्हें धमकाए जाने के आरोप लगाए थे, जिसकी सूचना उन्होंने जिला कलेक्टर को भी दी थी।
खुल सकता है पूरा कच्चा चिट्ठा
सूत्रों की मानें तो डॉ धीरज दवंडे और आयुष्मान योजना के अन्य अधिकारी यदि किडनी अस्पताल में हुए एक-एक मरीज के इलाज और फर्जीवाड़े की अनेक जानकारी सामने ला सकते हैं, लेकिन उनका ही पूरी जांच में असहयोग करना और दस्तावेज उपलब्ध न कराना घोटाले में उनकी संलिप्तता की ओर इशारा कर रहा है।
एसआईटी से एक थाना प्रभारी को हटाया गया
वहीं दूसरी ओर आयुष्मान फर्जीवाड़े की जांच के लिए गठित एसआईटी की टीम से टीआई निरूपा पांडे को हटा दिया गया है। बताया जा रहा है कि पांडे का स्वास्थ्य खराब होने के चलते उनकी जगह भेड़ाघाट टीआई शफीक खान को टीम का हिस्सा बनाया गया है।