GWALIOR : जन्माष्टमी तो बहाना था, यूपी से सटे क्षेत्र में सियासी जमीन तलाशने आये थे सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव

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Dev Shrimali
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GWALIOR : जन्माष्टमी तो बहाना था, यूपी से सटे क्षेत्र में सियासी जमीन तलाशने आये थे सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव



GWALIOR.  समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के मुख्यमंत्री रह चुके अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav ) जन्माष्टमी के दिन ग्वालियर आये थे। कहने को तो वे जन्माष्टमी पर यादव समाज द्वारा हर वर्ष निकाली जाने वाली शोभायात्रा में शामिल होने आये थे। वे महज कुछ घंटे ही ग्वालियर में रुके और वापिस लखनऊ लौट गये। लेकिन अब सियासी हलकों और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच अखिलेश की यात्रा को अगले वर्ष होने वाले मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों से जोड़कर इसके निहितार्थ और फलितार्थ निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि इस सामाजिक यात्रा के सहारे वे एमपी में विधानसभा ( Lagislative  Assembly Election चुनावों के लिए अपनी जमीन तलाशने आये थे। अगर उनके मेल -मिलाप और घटनाक्रम को बारीकी से देखें तो उससे यही संकेत मिलता है।





कांग्रेस नेताओं के घर ब्रेकफास्ट - बीजेपी नेताओं से भेंट





अखिलेश यादव विशेष विमान से ग्वालियर एयरपोर्ट पर पहुंचे। वहां से वे निकले तो पिंटो पार्क पर रहने वाले युवक कांग्रेस के नेता मितेंद्र यादव के घर पहुंचे। मितेंद्र यादव के पिता स्व डॉ दर्शन सिंह यादव  दिवंगत वरिष्ठ कांग्रेस नेता माधव राव सिंधिया (Madhav Rao Scindia ) के निकटतम लोगों में थे। माधवराव के निधन के बाद वे उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया की गुड बुक में आ गए। वे उनके इतने ख़ास थे कि उन्होंने यादव को शहर जिला कांग्रेस का अध्यक्ष बनवा दिया। तब मितेंद्र विदेश में पढ़ते थे। लेकिन यादव के असमायिक निधन के बाद पढ़ाई पूरी करके वापिस लौटे मितेंद्र भी ज्योतिरादित्य 9 Jyotiraditya Scidia ) के प्रति आकर्षित रहे और उनके समर्थन में ही राजनीति करने लगे। लेकिन जब सिंधिया ने कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिराकर अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में एंट्री मारी तो मितेंद्र उनके साथ नहीं गए बल्कि उन्होंने कांग्रेस में ही रहकर काम करने का निर्णय लिया। हालाँकि मितेंद्र के पास कांग्रेस  में अभी कोई बड़ा काम नहीं है न कोई पद।  उनके घर अखिलेश का पहुंचना सियासी मायने तलाशने की एक बड़ी बजह है। यहीं अखिलेश ने प्रेस से बात की।





नाश्ता अशोक सिंह के घर पर किया





यहाँ से निकलकर अखिलेश यादव कांग्रेस के बड़े नेता और प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अशोक सिंह (Ashok Singh ) के गांधी रोड स्थित घर पहुंचे। अशोक सिंह खानदानी रूप से सिंधिया परिवार के विरोधी माने जाते हैं। उनके दादा स्वतंत्रता सेनानी  कक्का डोंगर सिंह ने सिंधिया रियासत में उनकी सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाया था।  अशोक सिंह के पिता भी सिंधिया परिवार के विरोधी ही रहे। माधव राव सिंधिया के 1980 में  कांग्रेस में आने से पहले वे अंचल में कांग्रेस के बड़े क्षत्रप थे और राज्य में मंत्री भी, लेकिन सिंधिया के कांग्रेस में आने के बाद वे हांसिये पर चले गए। जब दिग्विजय सिंह सीएम बने तो उनके जरिये अशोक सिंह ने फिर कांग्रेस में जड़ें जमाईं। उन्होंने लोकसभा के चार बार टिकट लिए लेकिन सिंधिया के विरोध के चलते वे जीत नहीं पाए हालाँकि हर बार  उन्होंने कड़ी टक्कर देकर पार्टी में अपना कद बढ़ा लिया। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर जाने के बाद अशोक सिंह ग्वालियर - चम्बल अंचल में कांग्रेस के बड़े क्षत्रप बन गए। अखिलेश का उनके घर पहुँचने को भी विधानसभा चुनावों की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।





कांग्रेस - बीजेपी नेताओं से हुई मुलाक़ात





अखिलेश यादव अशोक सिंह के घर पहुंचे तो वहां बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता मौजूद थे। इनमें विधायक और पूर्व मंत्री लाखन सिंह , पूर्व सांसद रामसेवक सिंह बाबू जी, पूर्व मंत्री भगवान  सिंह यादव ,भगवान सिंह तोमर ,जिला कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ देवेंद्र शर्मा , बृन्दावन सिंह सिकरवार  सहित सैकड़ों छोटे -बड़े नेता शामिल थे लेकिन ख़ास उपस्थिति थी  2019 के लोकसभा चुनावों में अपराजेय सिंधिया परिवार के सदस्य केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराकर पूरे देश को चौंका देने वाले बीजेपी सांसद डॉ केपी यादव की।



यादव गुना क्षेत्र से बीजेपी सांसद है और उन्होंने जिन्हे हराया था वो ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अब कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं  लेकिन दोनों के बीच बर्चस्व की लड़ाई चलती रहती है। उनकी कांग्रेस नेता अशोक सिंह के  घर पर सपा सुप्रीमो से मुलाक़ात और साथ में नाश्ता करने के राजनीतिक मायने तलाशे जा रहे हैं। हालाँकि जब "द सूत्र " ने उनसे इस मुलाक़ात के मायने पूछे तो उन्होंने कहाकि - वे मेरे साथ सांसद थे तब हम लोगों को वहां निरंतर मुलाक़ात होती रहती थी. वे अच्छे इंसान और मिलनसार व्यक्ति हैं और योग्य व्यक्ति है। जब यहाँ सामाजिक कार्यक्रम में आये तो मिलने चले आये। बाद में अखिलेश , अशोक सिंह और केपी यादव  समाज की सभा के मंच पर भी साथ -साथ थे।  इस मंच से अखिलेश ने बीजेपी की सरकार और उनके नेताओं के खिलाफ खूब शब्दबाण छोड़े और केपी यादव मंच पर बैठे -बैठे मंद -मंद मुस्कराते रहे।





चुनाव ,यादव और गठबंधन पर बोले अखिलेश--





अखिलेश यादव  ने मीडिया से बात करते हुए सबसे पहले इस अंचल से अपने परिवार का जुड़ाव बताकर अपनी जड़ें बताईं।  उन्होंने कहाकि इससे पहले नेताजी (मुलायम सिंह ) इस आयोजन में आते रहे हैं और ग्वालियर भी। अब इसी परम्परा में हम यहाँ आये है। अगले साल के विधानसभा चुनावों पर उन्होंने कहाकि - सपा पहले भी यहाँ चुनाव लड़ती रही है। हमने कुछ सीटें जीतीं भी और अनेक पर हम दो नंबर पर रहे है। आगे भी लड़ेंगे। कहाँ और कितनी सीटों पर लड़ेंगे ? यह आएगी तय होगा। लेकिन बिहार के बहाने  उन्होंने मध्यप्रदेश के लिए बड़ा सन्देश दिया।  उन्होंने कहा कि बिहार में नीतीश और तेजस्वी ने विपक्षी एकता का जो संदेश दिया है यह  अब आगे भी  जाएगा। माना जा रहा है कि इस यात्रा के जरिये अखिलेश ने एमपी में कांग्रेस  से गठबंधन का विकल्प भी खोलने के संकेत दिया  और इशारों ही इशारों में अपनी ताकत भी बताई - बोले एमपी में यादव समाज की संख्या काफी है लेकिन अब उन्हें ही तय करना है कि वे किसके साथ जाएँ।



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