मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व में 'कॉलरवाली' बाघिन की मौत पर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने भी दुख जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए लिखा- 'वाइल्ड लाइफ को दिल से जीने वाले ही समझ सकते हैं कि इस राजसी बाघिन का चला जाना कितना दिल तोड़ने वाला है।
दुनियाभर में चर्चित हुई थी 'कॉलरवाली': कॉलरवाली' बाघिन की मौत शनिवार शाम हुई थी। 16 की उम्र की यह बाघिन तीन-चार दिन से बीमार चल रही थी। मुन्ना बाघ के बाद सबसे ज्यादा उम्र का रिकॉर्ड इसी के नाम है। दो दिन पहले रविवार को मादा बाघ को नम आंखों से विदाई दी गई। ये वही बाघिन थी, जिसे पर्यटकों ने 27 जनवरी 2019 को अपने बच्चों को मुंह में दबाकर सुरक्षित स्थान पर ले जाते हुए कैमरे में कैप्चर किया था। टाइग्रेस का यह फोटो दुनियाभर में चर्चित रहा था
Wildlife lovers and enthusiasts will understand how heartbreaking it is, when a majestic tigress goes into silence forever.
Rest in peace, #Collarwali. pic.twitter.com/LLHjn2Ou30
— Sachin Tendulkar (@sachin_rt) January 17, 2022
एमपी को दिलाया टाइगर स्टेट का दर्जा: मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में 'कॉलर वाली बाघिन' यानी की टी-15 की महत्वपूर्ण भूमिका है। उसके नाम सबसे अधिक संख्या में प्रसव और शावकों के जन्म का रिकॉर्ड भी है। सितंबर 2005 में जन्मी यह बाघिन 8 बार में 29 शावकों को जन्म दे चुकी थी। उसके नाम पर एक साथ पांच बच्चों को जन्म देने का भी रिकॉर्ड दर्ज है।
क्यों पड़ा कॉलरवाली नाम?: पेंच टाइगर रिजर्व में 11 मार्च 2008 को बाघिन को बेहोश कर देहरादून के विशेषज्ञों ने रेडियो कॉलर पहनाया था। इसके बाद से पर्यटकों के बीच वह कॉलरवाली के नाम से प्रसिद्ध हो गई। उसकी मां को टी-7 बाघिन (बड़ी मादा) और पिता को चार्जर के नाम से जाना जाता था।