Satna. जिला पंचायत अध्यक्ष के आरक्षण की तस्वीर साफ हो गई है। सतना की सीट आदिवासी के झोली में जा गिरी। इस आरक्षण ने दलों और राजनीतिक पंडितों को अचरज में भी डाल दिया। ऐसा पहली बार है जब आदिवासी समाज से कोई जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठेगा। जिला पंचायत के अध्यक्ष की कुर्सी में नजर डालें तो अब तक 6 ही बन सके जिसमें से एक ने कार्यवाहक के रूप में काम किया। इनमें तीन अनारक्षित श्रेणी से, दो ओबीसी और एक एससी श्रेणी से अध्यक्ष बने।
जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी का किस्सा
1994 में अनुसूचित जनजाति से आने वाले धीरेन्द्र सिंह धीरू जिला पंचायत अध्यक्ष बने थे, तब जिला पंचायत की सीट अनारक्षित थी। धीरेन्द्र सिंह धीरू ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। जिला पंचायत अध्यक्ष बनने से पहले वे नवीं विधानसभा में विधायक भी रह चुके थे। इनके बाद साल 2000 में गणेश सिंह ने कुर्सी संभाली। तब वे जनता दल के नेता थे और राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे शरद यादव के लिए बिहार राज्य में चुनाव प्रचार में भाग लिए थे। माधोपुर सीट में यादव को जीत मिली थी जिसके इनाम में जनता दल ने सतना में उनका समर्थन किया था। जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के बाद गणेश सिंह ने जनता दल का दामन छोड़कर बीजेपी के आंगन में आ गए। इसी दौरान वे सांसद बन गए और 2004 में सुरेन्द्र सिंह गहरवार को जिला पंचायत की कुर्सी दे दी गई। तब वे जिला उपाध्यक्ष थे। इनके बाद 2005 में पुष्पा गुप्ता जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। इनके बाद 2010 में कांग्रेस के नेता रहे गगनेन्द्र सिंह ने कुर्सी संभाली। उन्हें बीजेपी के सपोर्ट से ये कुर्सी मिली थी। इसलिए बाद में उन्होंने कमल दल का दामन थाम लिया था। 2015 में जिला पंचायत की कुर्सी ओबीसी महिला के खाते में चली गई। इस लिहाज से सुधा सिंह को मौका मिल गया। सुधा सांसद गणेश के छोटे भाई उमेश प्रताप सिंह की पत्नी है। उमेश भी जिला पंचायत सदस्य रहे।
बीजेपी और कांग्रेस के लिए चेहरा तलाशना जरूरी
अब सीट आदिवासी के झोली में चली गई है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए चेहरा तलाशना जरूरी हो गया है। भारतीय जनता पार्टी की ओर से आदिवासी चेहरे के रूप में कई नाम हैं। माना जा रहा है कि मझगवां बेल्ट के संजय आरख जो अब तक जिला पंचायत सदस्य थे। इसके अलावा भाजपा के एसटी मोर्चा के जिला अध्यक्ष भी हैं और सांसद के खास हैं। इनके अलावा लव सिंह गौंड वर्तमान में जिला महामंत्री के दायित्व संभाल रहे हैं। इनके अलावा राम अवतार दद्दा का भी नाम सामने आ रहा है। पूर्व में कोषाध्यक्ष रहे हालांकि उम्र ज्यादा है ऐसे में पार्टी संजय पर दांव लगा सकती है। कांग्रेस की ओर से अब तक कोई चेहरा सामने नहीं आ सका है।
जिला पंचायत के 4 वार्ड आदिवासी के लिए आरक्षित
जिला पंचायत के 4 वार्ड आदिवासी के लिए आरक्षित हैं जिसमें से 2 महिला के लिए आरक्षित हैं। वार्ड नम्बर 7, 13, 17 और 24 आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इनमें से 13 और 24 महिला के लिए आरक्षित हैं।
कौन कब रहा जिला पंचायत अध्यक्ष
- 1994, धीरेंद्र सिंह धीरू (समाजवादी पार्टी)