JABALPUR: एडमिशन के बाद छोड़ी सीटें, आरटीई सीटें खाली, नहीं हो पा रहा राइट टू एजुकेशन के नियम का पालन

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Rajeev Upadhyay
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JABALPUR: एडमिशन के बाद छोड़ी सीटें, आरटीई सीटें खाली, नहीं हो पा रहा राइट टू एजुकेशन के नियम का पालन

Jabalpur. शिक्षा के अधिकार नियम के तहत छात्रों को प्राइवेट स्कूलों में निशुल्क एडमिशन की सुविधा मिलने के बाद भी छात्र सीटें छोड़ रहे हैं। हालात यह हैं कि अभी तक करीब 1400 छात्रों ने आरटीई की सीटें छोड़ी हैं। वहीं यदि प्रदेश की बात की जाए तो ऑनलाइन लॉटरी से प्रदेश में करीब एक लाख चालीस हजार छात्रों को सीटें आवंटित की गई।इनमें करीब बीस हजार छात्रों के अभिभावकों ने अपने बच्चों को एडमिशन नहीं दिलवाया। इन्होंने सीटों को छोड़ दिया।




जिले की ये है स्थिति




जिले में आरटीई के तहत 720 प्राइवेट स्कूलों को चिन्हित किया गया है। इनमें नियम के तहत 25 प्रतिशत सीटें रिजर्व की जाती हैं। जिले में आरटीई की 7 हजार 654 सीटें हैं। 5 हजार 658 आवेदन में से 4 हजार 776 का सत्यापन हुआ है। अभी तक 3 हजार 379 स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया।




आवंटन के बाद प्रवेश नहीं लिया




जबलपुर जिले में आवंटन के बाद करीब पचास प्रतिशत सीटें खाली रह गईं। सूत्रों के अनुसार आरटीई के तहत जिले के स्कूलों में 7 हजार 654 सीटें इस वर्ग के लिए आरक्षित की गई हैं। इसके लिए करीब 5 हजार 658 पैरेंट्स ने अप्लाई किया था।इनमें से कुछ फार्म रिजेक्ट हो गए। जिला परियोजना समन्वयक डॉ आरपी चतुर्वेदी का कहना है कि ऐसा हो सकता है कि स्टूडेंट्स के लिए पैरेंट्स जो स्कूल पसंद किए थे वे न मिले हों। अब सेकंड स्टेज में उन्हें स्कूलों की च्वाइस का आप्शन दिया जाएगा।



कैसे पूरा होगा गुणवत्तायुक्त सस्ती शिक्षा का सपना?



आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा मिले इसके लिए राइट टू एजुकेशन का नियम बनाया गया था लेकिन कभी उदासीनता तो कभी षड़यंत्र के तहत शायद ही किसी प्राइवेट स्कूल ने इस नियम का शब्दशः पालन किया होगा। वहीं अब आरटीई के तहत रिजर्व सीटों खाली न रहें इसके लिए प्रशासन हर बार की तरह इस बार भी प्रयास करने की बात कह रहा है। 


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