भोपाल. मानसरोवर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं रिसर्च सेंटर में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार का विषय था 'स्वास्थ्य और आनंदमय समाज निर्माण में चिकित्सकों की भूमिका'। सेमिनार के मुख्य वक्ता और आरोग्य भारती के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. सुनील जोशी ने बताया कि स्वस्थ चिकित्सक ही समाज का निर्माण कर सकते हैं। इसलिए अपना डेली रूटीन आयुर्वेद के नियमों का पालन करते हुए तय करें। इससे समाज में एक स्वस्थ उदाहरण प्रस्तुत होगा।
भावी चिकित्सकों को सलाह: कार्यक्रम की अध्यक्षता आरोग्य भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राकेश पंडित ने की। पंडित ने बताया कि आज मार्केट का दबाव चिकित्सकों पर हावी है। ऐसे समय में, मैं सभी भावी चिकित्सकों से कहना चाहूंगा कि चिकित्सक में एक भगवान का रूप दिखना चाहिए। हमारे प्रोफेशन में परोपकार, विश्वसनीयता और दयाभाव होता है। ये लोगों को दिखना चाहिए। इससे पहले मानसरोवर ग्रुप के CED इंजी. गौरव तिवारी ने कहा कि आयुर्वेद सिर्फ मेडिकल साइंस ही नहीं बल्कि यह एक सोशल साइंस भी है। क्योंकि आयुर्वेद की भूमिका सिर्फ एक व्यक्ति को ठीक करने की नहीं जो अस्वस्थ है, बल्कि आयुर्वेद की जरूरत समाज में हर उस व्यक्ति को है जो जीवन जी रहा है। सेवा का यह भाव आयुर्वेद में ही देखने को मिलता है।
समाज का नजरिया हो: मानसरोवर ग्लोबल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. अरुण कुमार पांडेय ने विषय की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि कोरोना काल में सभी चिकित्सा पद्धति के डॉक्टरों ने कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। ऐसे में आयुर्वेद के प्रति समाज का समान नजरिया होना चाहिए। कार्यक्रम में मुख्य रूप से मानसरोवर आयुर्वेदिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अनुराग सिंह राजपूत, सियाराम कॉलेज के प्राचार्य डॉ. भरत चौरागड़े, डीन एकेडमी डॉ. मनीषा राठी, डॉ. एनके प्रसाद, डॉ. बाबुल ताम्रकार, डॉ. सचिन खेडीकर, डॉ. विकास जैन, डॉ. हरेंद्र मोदी सहित बड़ी संख्या में फैकल्टी मेंबर्स और स्टूडेंट मौजूद रहे।