Bhopal. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए ट्रंप कार्ड मानकर आदिवासियों तक केंद्रित हो चुकी प्रदेश की राजनीति को सिवनी में हुई मॉब लिंचिंग की घटना ने हवा दे दी है। इस घटना ने पूरे सियासी समीकरण ही बदल दिए हैं। मॉब लिंचिंग के दौरान दो आदिवासियों की मौत को मुद्दा बनाकर कांग्रेस ने सिवनी में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। कांग्रेस किसी भी हालत में इस मुद्दे को छोड़ना नहीं चाह रही। दूसरी ओर अपने सहयोगी संगठनों के नाम इस घटना में सामने आने पर बीजेपी की पेशानी पर बल पड़ गए हैं और वह डेमैज कंट्रोल की मुद्रा में नजर आने लगी है।
कांग्रेस ने सक्रियता दिखाई
मॉब लिंचिंग की घटना सियासी मोड़ ले रही है। घटना की खबर फैलते ही मामला सियासी हो गया। कांग्रेस सक्रिय हो गई। बरघाट विधायक अर्जुन सिंह काकोडिया के साथ कांग्रेस के शहर अध्यक्ष राजकुमार खुराना घटना के अगले दिन यानी 3 मई को धरने पर बैठ गए थे। विधायक अर्जुन सिंह काकोडिया ने आरोप लगाया है कि बजरंग दल के सदस्यों ने गोमांस के शक में आदिवासियों के साथ मारपीट की, जिससे दो आदिवासी धानसा इनवाती और संपत बट्टी की मौत हो गई। एक आदिवासी ब्रजेश बट्टी घायल हो गया। 4 मई को भी कांग्रेस के आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया ने राज्यपाल मंगू भाई पटेल को ज्ञापन सौंपकर मामले की जांच कराने की मांग की है। इसके साथ ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने तीन आदिवासी विधायकों का एक जांच दल गठन किया है। यह जांच दल नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह के साथ सिवनी पहुंचेगा और पीड़ित परिवारों से चर्चा करेगा। कुल मिलाकर कांग्रेस इस मुद्दे को अपने हाथ से निकलने नहीं देना चाहती। मामला सीधे तौर पर आदिवासियों के बीच अपनी घुसपैठ बनाने और बढ़ाने का है। इसलिए इसलिए कांग्रेस आने वाले दिनों में आदिवासियों के पक्ष में प्रदेश व्यापी आंदोलन की रूपरेखा भी तैयार कर सकती है।
बुल्डोजर चलाएं घरों पर
बरघाट से कांग्रेस विधायक अर्जुन सिंह काकोडिया का कहना है कि बजरंग दल के जिन लोगों ने यह कृत्य किया है। उनके घरों पर सरकार बुल्डोजर चलाए और बजरंग दल को प्रतिबंधित किया जाए। कांग्रेस के शहर अध्यक्ष राजकुमार खुराना का कहना है कि मृतकों के परिजन को सरकार एक करोड़ रुपए मुआवजा दे और आरोपियों को सजा मिले।
मुआवजा दिया जाएगा: कुलस्ते
केंद्रीय इस्पात राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने मौके की नजाकत को देखते हुए मीडिया के माध्यम से कहा कि प्रत्येक मृतक के परिजन को सवा आठ लाख रुपए दिए जाएंगे। पहले इस राशि का पचास प्रतिशत दिया जाएगा। शेष राशि बाद में दी जाएगी। घायल व्यक्ति के केस में डीएसपी स्तर का अधिकारी जांच करेगा। उसके बाद उसे सहायता राशि दी जाएगी। घायल का उपचार सरकारी खर्च पर होगा। अभी तक 9 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया है, जिसमें 3 नामजद हैं और 6 के नाम नहीं हैं।
पीड़ितों से मिलेंगे नेता प्रतिपक्ष
शहर कांग्रेस अध्यक्ष राजकुमार खुराना का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह आ सकते हैं। वे मृतकों और घायल के परिवार से मिलेंगे। उनके साथ कांग्रेस के आदिवासी विधायक ओमकार सिंह मरकाम, नारायण सिंह पट्टा और अशोक मस्त सिवनी पहुंचेंगे। कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने इन तीनों विधायकों की मौजूदगी में जांच दल का गठन किया है।
चढ़ रहा सियासी रंग
सिवनी विधानसभा क्षेत्र आदिवासी बहुल है। यहां 4 सीट हैं। जिसमें दो सीट आदिवासी जनजाति के लिए आरक्षित हैं, जिस पर कांग्रेस का कब्जा है। वहीं दो सामान्य सीट हैं, जिस पर बीजेपी का कब्जा है। यह घटना आदिवासी ब्लाक में हुई है। इससे यहां राजनीति का खेल शुरू हो गया है। बरघाट से कांग्रेस विधायक अर्जुन सिंह ने इसे आदिवासियों पर बजरंग दल द्वारा अत्याचार किए जाने को मुद्दा बनाते हुए ताल ठोक दी है। बीजेपी को हो सकता है। नुकसान पिछले चुनाव में आदिवासी सीटों के कारण सरकार बनाने से चूकी बीजेपी इस मामले को जल्द से जल्द ठंडा करना चाहती है।
बीजेपी की बढ़ सकती है मुसीबत
बीजेपी को पिछले चुनाव में 2013 के मुकाबले आदिवासी सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा था। प्रदेश में आदिवासियों के लिए आरक्षित 47 सीटों में से 2013 के चुनाव में बीजेपी को 32 तथा कांग्रेस को 15 सीटें मिली थी। इसके उलट 2018 के चुनाव में बीजेपी आदिवासियों के लिए आरक्षित कुल सीटों में से महज 16 सीटों पर ही अपना कब्जा बरकरार रख सकी। जबकि कांग्रेस की झोली में वर्तमान में आदिवासी बहुल क्षेत्रों की 30 सीटें हैं। एक सीट निर्दलीय विधायक को मिली थी। इसी का परिणाम है कि सरकार में लौटते ही बीजेपी लगातार आदिवासियों से जुड़ने की कोशिश में जुटी हुई है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में आदिवासी सम्मेलन भोपाल में आयोजित किया गया था। वहीं हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी आदिवासियों के बीच पहुंचे थे। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का साफ कहना है कि सिवनी मामले में आरोपी बख्शे नहीं जाएंगे। उन्हें सख्त से सख्त सजा दिलवाई जाएगी।