भोपाल. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 7 मार्च को लाइट मूड में कई बातें कहीं। मौका था बीजेपी के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा के जन्मदिन का। शिवराज ने रघुनंदन शर्मा से जुड़ी कई बातें शेयर कीं। उन्होंने बताया कि युवा मोर्चा का कार्यकर्ता रहने के दौरान मैं नाराज होकर अपने गांव जैत चला गया था। रघुनंदन जी मुझे मनाकर ले आए। शिवराज ने कई किस्से बताए...
गलत बर्दाश्त नहीं करते: आज हम लोग जिनके निमित्त इकट्ठा हुए हैं, वो रघुनंदन शर्मा जी हैं। आप 75 साल के हो गए हैं, लेकिन लगते नहीं हैं। अभी तो आप जवान हैं। वो सबके प्रेमी और सबके स्नेही हैं। इसी का परिणाम है कि लोग घंटों से यहां बैठे हैं। रघु जी सबको याद करते थे। आप लोगों ने शायद उनका रौद्र रूप नहीं देखा। मैंने रौद्र रूप भी देखा है। एक बार वो अधिवेशन में विजयवाड़ा गए थे। ट्रेन में हम लोग जा रहे थे। ट्रेन की बोगी में दिवंगत कैलाश सारंग भी थे। दो-चार हट्टे-कट्टे लोगों ने बर्थ पर कब्जा कर लिया। हम लोगों के मनाने के बावजूद वे बर्थ छोड़ नहीं रहे थे। रघु उठे और उनके बाल पकड़कर (शिवराज के चेहरे पर हाव-भाव भी वैसे ही आए) हटा दिया। सारंग जी ने कहा कि रघुनंदन, तुम्हें मेरी कसम है, मत करो, लेकिन वे नहीं माने।
पद की लालसा नहीं: मैंने मन में सोचा कि रघु जी को सम्मानित करना चाहिए। लगा कि उन्हें राज्य सरकार में सम्मानित पद दे दें। मैंने उनसे ये बात कही तो वे बोले कि आपने सुना दिया, मैं सुनाता तो ज्यादा अच्छा लगता। उन्होंने कहा कि मुझे पद नहीं चाहिए। आप घोषणा मत करना। और कोई होता तो सोचता कि पार्टी कह रही है तो हर्ज क्या है। इसलिए मैं कहता हूं कि रघु जी का सारा जीवन प्रामाणिकता से भरा हुआ है। वो मौलिक चिंतक, राष्ट्रवादी विचार, कुशल संगठक, बहुत अच्छे लेखक और दृढ़ निश्चय के धनी हैं।
पहले चुनाव के पोस्टर रघु जी ने बनाए: जगदीश (वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा) यहां हैं। हमने 1990 में पहला चुनाव लड़ा था। पैसे-धैले तो उस समय थे नहीं। मैं युवा मोर्चा का अध्यक्ष था। हम दोनों के पोस्टर डिजाइन करने का काम रघुनंदन शर्मा ने किया। आपको याद होगा रघुनंदनजी, आपने पोस्टर में लिखा- गांव-गांव, पांव-पांव, नाव-नाव...। मुझे पांव-पांव वाला भैया कहते थे। उन्होंने नारा दिया था, क्योंकि मैं तो पांव-पांव ही घूमता था। उन्होंने जगदीश की भी चिंता करने की बात कही थी। किसी सामान्य कार्यकर्ता की चिंता करने वाले बिरले ही होते हैं।
वो घी अब तक काम आ रहा है: एक बार विधायक बन गए और फिर पता लगे कि टिकट कटने वाला है तो मन बैचेन हो जाता है। इसका मतलब ये नहीं कि किसी का टिकट कट रहा है। रघुनंदनजी ने ठाकरे (कुशाभाऊ ठाकरे) के आदेश कह लीजिए, निर्देश कह लीजिए, तय कर लिया कि अब चुनाव नहीं लड़ूंगा। वे संगठन मंत्री रहे। 3 जिलों का काम संभाला। संगठन मंत्री रहते हुए कार्यालय का काम संभाला। कार्यालय का काम बहुत महत्वपूर्ण होता है। मैं मानता हूं कि कार्यालय मंत्री व्यवस्थित ना रहे, तो सारी गतिविधियां अव्यवस्थित हो जाती हैं। जब रघुनंदनजी कार्यालय मंत्री बनकर आए तो मैं युवा मोर्चे का कार्यकर्ता था। युवा मोर्चे में था तो 24 घंटे काम करने वाले थे। दूसरा कोई काम ही नहीं था। दुबले-पतले थे, रघु जी ने घी भी पिलाया, पर बहुत मोटे नहीं हो पाए। वो घी अब तक काम आ रहा है।
रघुनंदन जी मनाने में माहिर हैं: आपको एक और राज की बात बताऊं, युवा मोर्चा का काम करते करते कभी कबार रूठ जाया करते थे। नौजवान अक्सर रूठ जाया करते हैं। एक बार हम रूठ कर अपने घर जैत चले गए। जैत से जब यहां आया था तो 4-5 दिन तो मन नहीं लगा। जैत पहुंचे और अपने खलिहान में रघु जी थे। हमने रघु जी से कहा कि खेती के काम में लग जाऊं जी। तो रघु जी ने एक बार विपिन से कहा, शिवराज को ले आओ, बाकी मैं बात कर लूंगा। संदेश मिला कि एक बार तो आ ही जाओ। तो हमने कहा एक बार में क्या दिक्कत है, चलो चलते हैं। रघुनंदन जी ने एक बार में ऐसा पटाया कि हम खेत छोड़कर फिर पार्टी के काम में लग गए।