अविनाश नामदेव, Vidisha. प्रदेश में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत 31 मई को सामूहिक विवाह सम्मेलन प्रस्तावित थे लेकिन अचानक पंचायत चुनावों की तारीखों के ऐलान से विवाह समारोह पर ब्रेक लग गया, जिससे दोनों पक्ष चिंता में पड़ गए कि आखिर उनकी बेटियों के हाथ कैसे पीले होंगे। कमोवेश वर पक्ष को भी यही चिंता सताने लगी। ऐसे में यहां के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मुकेश टंडन और उनके कुछ सहयोगियों ने आगे आते हुए इस पूरे आयोजन को विधि-विधान से संपंन्न कराया। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना रद्द होने के बाद समाजसेवियों ने 20 जोड़ों का विवाह कराया जबकि एक जोड़ी का निकाह पड़वाया। विदिशा जिले में नगर क्षेत्र के 24 और ग्रामीण क्षेत्र के 14 जोड़ों के विवाह प्रस्तावित थे। अचानक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आचार संहिता लगने के साथ ही विवाह सम्मेलन रद्द कर दिया गया। ऐसे में सभी परिवारों के ऊपर जैसे पहाड़ गिर पड़ा हो। परेशानी के इस क्षण में विदिशा के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मुकेश टंडन, समाजसेवी और हिंदू जागरण मंच के जिला अध्यक्ष संजय प्रजापति आगे आए। उन्होंने साथियों के साथ मिलकर पहले विवाह के लिए रजिस्ट्रेशन करायाऔर परिवारों के सदस्यों से मुलाकात की। 38 में से 20 सदस्यों ने इस प्रकार के विवाह में अपनी सहमति जताई।
सभी ने जताया आभार
सभी जोड़ों को माधवगंज से भव्य बारात के साथ बग्गियों में बिठाकर मुखर्जी नगर स्थित पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मुकेश टंडन के निवास के नजदीक विवाह स्थल पर लाया गया, जहां पूर्व में ही समाजसेवियों द्वारा सभी 20 जोड़ों के लिए दहेज में उपहार स्वरूप दी जाने वाली तमाम सामग्री जुटाकर रखी गई थी। साथ ही बारातियों के लिए भोजन आदि की व्यवस्था भी की गई थी। बेटे और बेटियों के माता-पिता इस व्यवस्था से खुश थे। उनका कहना था कि शासकीय स्तर पर की जाने वाली शादियों से भी बहुत अच्छे स्तर पर यहां व्यवस्थाएं जुटाई गईं हैं। इस पूरी प्रक्रिया के सूत्रधार रहे पूर्व नप अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें भी उम्मीद नहीं थी कि मात्र 24 घंटों के और दौरान इस स्तर पर तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी। बिना शासन की मदद से 20 बेटियों को हम बड़े सम्मान के साथ विदा कर रहे हैं। दूसरी ओर परिजनों ने समाजसेवियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कि समारोह में बेहतर इंतजाम किए गए थे। उनका कहना था कि सरकारी सम्मेलन से भी शानदार तरीके से आयोजन हुआ किसी भी प्रकार की कमी नहीं रही। समाजसेवियों ने बिना किसी सरकारी मदद के न केवल दहेज की तमाम साम्रगी बल्कि अन्य सामग्री उपलब्ध कराई।