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दलबदलू नेताओं के खिलाफ कांग्रेस खोलेगी मोर्चा, मिशन 2023 के लिए कमलनाथ की ये है विशेष रणनीति, इस तरह करेंगे बीजेपी की घेराबंदी

न्यूज स्ट्राइक

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न्यूज स्ट्राइक दलबदलू नेताओं के खिलाफ कांग्रेस खोलेगी मोर्चा, मिशन 2023 के लिए कमलनाथ की ये है विशेष रणनीति, इस तरह करेंगे बीजेपी की घेराबंदी
10/28/22, 1:31 PM (अपडेटेड 10/28/22, 7:01 PM)

हरीश दिवेकर, BHOPAL.  पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में अब कांग्रेस अपने तेवर बदलने की तैयारी में है। अब तक शांत और सुस्त सी नजर आ रही कांग्रेस पहले से ज्यादा तीखी पहले से ज्यादा एग्रेसिव होगी। खास निशाने पर होंगे वो नेता जो कांग्रेस को धोखा देकर गए और, फोकस में होंगी वो चार कमियां जो कांग्रेस को सत्ता की रेस में पीछे कर देती हैं। 


नए पैटर्न पर चुनावी तैयारी 


कांग्रेस अब चुप बैठने वाली नहीं है। नई प्लानिंग से ये साफ है कि कांग्रेस अब नए पैटर्न पर चुनावी तैयारी शुरू करने वाली है जिसमें फिलहाल बड़ी-बड़ी राजनीतिक रैलियां और सभाएं जरूर शामिल नहीं है लेकिन इंटरनल सर्जरी के लिए कांग्रेस ने बड़ी रणनीति तैयार की है। इस रणनीति में कांग्रेस के कार्यकर्ता और पदाधिकारी तो शामिल होंगे ही कुछ ऐसे लोगों को भी जोड़ा जाएगा जो सीधेतौर पर कांग्रेस का हिस्सा भले ही न हो लेकिन पार्टी के लिए काम के साबित हो सकते हैं। ये ऐसा तबका है जिनके तजुर्बे को इस्तेमाल कर कांग्रेस नए सिरे से प्रदेश में एंट्री का जरिया तलाश कर सकती है।


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पुराने नेताओं को कुनबे में रखना बड़ी प्राथमिकता


आने वाले चुनाव से पहले कांग्रेस को कई मोर्चों पर मजबूत किलेबंदी करनी है। सबसे पहले तो कांग्रेस को अपने पुराने नेताओं को जाने से रोकना है जिसका कोई फुलप्रूफ तरीका अभी तक पार्टी के पास नहीं है। इसके बाद एक बार चोट खा चुकी बीजेपी की पुख्ता तैयारियों का तोड़ निकालना है। बीजेपी जैसे भव्य कार्यक्रम कर पाना भी फिलहाल कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा नहीं है। अभी पार्टी ने अंदर ही अंदर अपनी चार कमजोरियों पर फोकस करने की स्ट्रेटजी तैयार की है ताकि, पहले अपनी खामियों को दूर कर उनसे निपट सकें। 


दलबदलुओं के खिलाफ तीखे तेवर


 दूसरी तरफ अब पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने दलबदलुओं के खिलाफ तीखे तेवर अख्तियार करना शुरू कर दिए हैं। उन्होंने भरी सभा में ये ऐलान कर दिया है कि आने वाले चुनाव धोखेबाज और दलबदलुओं को सबक सिखाने के चुनाव हैं। 2020 में जो विधायक कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए थे, उनमें से अधिकांश सीटों पर कांग्रेस को लंबे समय बाद जीत मिली थी।  पार्टी का मानना है कि इन विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता कांग्रेस के पक्ष में हैं। उनके जनप्रतिनिधियों ने लोगों के साथ धोखा किया। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इन सीटों के लिए अलग से रणनीति बनाई जा रही है। कमलनाथ खुद इन क्षेत्रों में कांग्रेस के बूथ लेवल वर्कर्स से लेकर मंडल-सेक्टर के पदाधिकारियों से सीधे चर्चा करेंगे।


28 सीटों पर कमलनाथ की विशेष नजर


प्रदेश की ऐसी 28 सीटों का जिम्मा संभालने के लिए कमलनाथ खुद आगे आए हैं। उन सीटों का मिजाज समझते हुए जनता तक ये मैसेज पहुंचाया जाएगा कि किस तरह धोखे से सरकार गिराई गई। जनता के वोट्स के साथ धोखा हुआ। जिस जनता ने कांग्रेस को चुना उन मतदाताओं पर बीजेपी को जबरन थोप दिया गया। इस अंदाज में जनता को इमोशनल कर वोट खींचने की तैयारी जोरशोर से की जा रही है। 


होगी वन टू वन चर्चा 


दलबदल का शिकार हुईं सीटों पर कमलनाथ खुद वन टू वन चर्चा करेंगे। इसके अलावा प्रदेश की दूसरी सीटों के लिए भी अलग तरह से प्लानिंग हो रही है। इन सीटों पर कांग्रेस अपनी खामियां तलाश कर रणनीति तैयार करेगी। इसके लिए कुछ नए प्रकोष्ठ तो बनाए ही गए हैं। अब तैयारी है रिटायर अधिकारी और कर्मचारियों से चर्चा करने की। इन पुराने लोगों के तजुर्बे के आधार पर कांग्रेस आगे बढ़ेगी और मतदाताओं की नब्ज टटोलकर काम करेगी।


राहुल गांधी की यात्रा के मद्देनजर एक्टिव मोड पर 


दिवाली गुजर चुकी है। अब तैयारियां तेज करने का वक्त है। पूरी कांग्रेस राहुल गांधी की यात्रा के मद्देनजर एक्टिव मोड पर आ ही चुकी है। इसके पैरलली कुछ अलग प्लानिंग भी शुरु हो चुकी है। कांग्रेस अपनी कमजोरियां छांटने और उन्हें सख्ती से दूर करने की तैयारी में हैं। शुरूआत ऐसे नेताओं  से होगी जो कांग्रेस को कमजोर कड़ी नजर आएंगे। इसके अलावा तहसील और गांव तक अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए 28 नए प्रकोष्ठ बनाए हैं। जिनका उद्देश्य संगठन को सक्रिय करना है ताकि 2023 का चुनाव जीतने में आसान हो जाए। नए चुनाव के लिए कांग्रेस का नया नारा है एक बूथ पांच यूथ।  यानि हर बूथ पर पांच ऊर्जावान कार्यकर्ता सक्रिय होंगे जो कांग्रेस को मजबूत बनाएगे। इसके अलावा पार्टी कुछ खास बिंदुओं पर भी तेजी से काम कर रही है।


हर समस्या को दूर करेंगे प्रकोष्ठ


कांग्रेस के अलग अलग प्रकोष्ठ अलग-अलग रणनीति पर काम करेंगे। एक प्रकोष्ठ का काम असंगठित वर्ग के कामगारों के कल्याण के लिए रणनीति बनाना होगा। एक प्रकोष्ठ प्रदेश में अलग अलग सांस्कृतिक आयोजन, महापुरुषों के जन्मदिन और पुण्यतिथि की जिम्मेदारी संभाल लोगों को जोड़ेगा। एक प्रोष्ठ का काम राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के नाम से पंचायतों की समस्या सुन काम करेगा। इसी तरह किसान, मजदूर, मानवाधिकार जैसे 28 प्रकोष्ठ बनाए गए हैं जो गांव गांव और शहर शहर जाकर प्रचार प्रसार का जिम्मा संभालेंगे। 


 कमजोर नेताओं की खैर नहीं


 कमलनाथ जिला प्रभारियों से वन-टू-वन चर्चा करेंगे और कमजोर नेताओं की संगठन से छुट्टी की जाएगी। दो नवम्बर से अलग अलग दिन प्रभारियों को भोपाल बुलाया गया है। हर दिन 4-6 प्रभारियों से कमलनाथ मुलाकात करेंगे। प्रभारियों की रिपोर्ट के आधार पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। साथ ही कमजोर नेताओं की संगठन से छंटनी भी हो सकती है। हर जिले की रिपोर्ट के आधार पर आगे की रणनीति तैयार होगी।


हर महीने बनेगी नई रणनीति


कांग्रेस हर महीने अपनी रणनीति को रिव्यू कर नए सिरे से रणनीति तैयार करेगी। ताकि कमजोरी के अनुसार प्लानिंग हो। साथ ही मछुआरा समिति, सिंधी कल्याण समिति, पिछड़ा वर्ग विभाग, दलित पिछड़ा समाज संगठन, मप्र सफाई कामगार, बंजारा समाज, अनुसूचित जाति विभाग, कांग्रेस केश शिल्पी प्रकोष्ठ हैं। इन वर्गों को प्रदेश के हर ब्लाक में अपने वर्ग के 300 से 500 कार्यकर्ताओं को जोड़े जाने का लक्ष्य दिया गया है।


सेवानिवृत्त अधिकारियों को जोड़ने की तैयारी


अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में अधिकारियों-कर्मचारियों का साथ पाने और उनके तजुर्बे का फायदा लेने की प्लानिंग भी की गई है। उनसे चर्चा के आधार पर कांग्रेस वचन पत्र में शामिल किए जाने वाले मुद्दों को तैयार करेगी। शीतकालीन सत्र में भी उनसे जुड़े मुद्दे उठाए जाएंगे। इसके अलावा जिला स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर तक रिटायर कर्मचारियों से चर्चा होगी।  कमलनाथ खुद इस चर्चा का हिस्सा बनेंगे।


इनको सौंपी गई जिम्मेदारी


 इसका जिम्मा सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी डीएस राय, वीके बाथम और अजीता वाजपेयी पांडे को दिया गया है। वहीं, कर्मचारी संगठनों से समन्वय बनाने का दायित्व कर्मचारी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष वीरेंद्र खोंगल के पास है। कांग्रेस का मानना है कि कर्मचारियों की नाराजगी भी कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने में अहम रही थी। कर्मचारी ही चुनावी नतीजों को प्रभावित करते हैं। इसलिए उन्हें जोड़ कर कांग्रेस इस क्षेत्र को भी मजबूत करने का प्रयास करेगी। 


माइक्रोलेवल पर प्लानिंग 


 कांग्रेस की कोशिशें पूरी हैं कि 2023 के चुनाव में फिर जीत को दोहरा सकें। न केवल इतनी बल्कि उस जीत से बड़ी जीत हासिल कर सकें। इसलिए बीजेपी की तर्ज पर माइक्रोलेवल पर प्लानिंग हो रही है। इस बार राहुल गांधी की यात्रा का भी मालवा की बेल्ट में कुछ इम्पेक्ट जरूर पड़ेगा। अपनी दलबदलुओं को सबक सिखाने, भारत जोड़ो यात्रा और कर्मचारियों का साथ हासिल कर कांग्रेस मतदाताओं को कितना रिझा पाती है ये अगले चुनाव में ही स्पष्ट होगा।

 


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