Bhopal. मध्यप्रदेश शासन ने हाल में स्कूलों में खेल शिक्षकों का प्रभार विशेष शिक्षकों को देने का निर्णय लिया है। इसके लिए स्कूल के ही विशेष शिक्षकों को 5 दिन का खेल प्रशिक्षण देकर उन्हें खेल प्रभारी शिक्षक बनाया जा रहा है। इसके कारण बीपीएड और एमपीएड करने वाले खेल प्रशिक्षकों का गुस्सा फूट पड़ा है, उन्होंने आरोप लगाया है कि यह उनके साथ अन्याय है। लगातार पिछले 14 सालों से मध्यप्रदेश में शारीरिक शिक्षक की योग्यताधारी बीपीएड एवं एमपीएड अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरी नहीं मिली है। सरकार ने प्रदेश के स्कूलों में 50 हजार से भी ज्यादा पद स्पोर्ट्स टीचर के खाली होने के बावजूद भरें नहीं है और अब यह फैसला लेकर इनका भविष्य बर्बाद कर दिया है।
प्रदेशभर स्पोर्ट्स टीचर का राजधानी में प्रदर्शन
सरकार के इस फैसले के खिलाफ पूरे प्रदेश के अलग अलग हिस्सों से पैदल मार्च करते हुए स्पोर्ट्स टीचर भोपाल पहुंचे, लेकिन इन्हे बोर्ड ऑफिस चौराहे पर ही रोक लिया गया। भीषण गर्मी में यह युवक युवतियां परेशान होते रहें। इनमें कई विदिशा से पैदल चलकर सागर, भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन और अन्य जिलों से भोपाल पहुंचे। पुलिस ने अनुमति नहीं होने का हवाला देते हुए चौराहा पर रोक लिया। इससे प्रदर्शनकारियों का गुस्सा फूट पड़ा। प्रदर्शनकारी खेल शिक्षकों ने सरकार को चेतावनी दी है कि या तो भर्ती करें या फिर प्रदेश के कालेजों से बीपीएड और एमएड के कोर्स हटाए, लेकिन अब यह प्रदर्शनकारी पीछे हटने वाले नहीं है।
मध्यप्रदेश में खेल शिक्षकों के 72 हजार से ज्यादा पद खाली
बेरोजगारों का कहना है कि सरकार का निर्णय पूरी तरह से योग्यताधारी शिक्षित बेरोजगारों के खिलाफ है। कुछ समय पहले सर्वे के माध्यम से पता चला था कि प्रदेश के स्कूलों में 72 हजार से अधिक खेल शिक्षकों के पद खाली है। अधिकांश स्कूलों में खेल शिक्षक नहीं है। इन पदों पर बीपीएड और एमपीएड डिग्रीधारी बेरोजगारों की भर्ती की जाना चाहिए, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि सरकार बेरोजगारों को नौकरी देना ही नहीं चाह रही।