खंडवा की बेटी ने 25 हजार महिलाओं को लड़ना सिखाया, बीहड़ में भी बदलाव की बयार

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Aashish Vishwakarma
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खंडवा की बेटी ने 25 हजार महिलाओं को लड़ना सिखाया, बीहड़ में भी बदलाव की बयार

(खंडवा से शेख रेहान, भिंड से सुनील शर्मा, बुरहानपुर से गोपाल देवकर). आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। इस मौके पर हम आपको खंडवा की एक ऐसी बेटी की कहानी बता रहे हैं। जिसके बचपन की घटी एक घटना ने कैसे 25 हजार महिलाओं की जिंदगी बदली। वहीं, चंबल अंचल में बदलाव की बयार जारी है। भिंड जिले की दशकों तक पहचान बीहड़ की बगावत और बंदूक से रही है, लेकिन अब भिंड की महिलाएं इस पहचान को बदल रही है। इधर बुरहानपुर में महिला दिवस के अवसर पर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का स्वागत सम्मान किया गया। यहां एक अनूठे प्रयोग के तहत महिलाएं टैक्स की वसूली करेगी। इसके लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा अनुबंध भी किया जा रहा है। अगर ये प्रयोग सफल रहा तो देश भर में लागू किया जाएगा। 



खंडवा की नेहा यादव: एक मिडिल क्लास परिवार की बेटी नेहा यादव। नेहा ने अभी तक 25 हजार से ज्यादा लड़कियों और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाए हैं। अपने ही परिवार में घटी एक घटना से प्रभावित होकर नेहा यादव ने महिलाओं को आत्मरक्षा के लिए ताइक्वांडो और मार्शल आर्ट सिखाने का बीड़ा उठाया। नेहा ये काम निशुल्क कर रही है। नेहा ने परिवार की रूढ़िवादी सोच को तो बदला ही है, साथ ही साथ पढ़ाई और अन्य कामों से बाहर जाने के बाद परिवार के अंदर, 'लड़की को कुछ हो ना जाए' के डर को भी खत्म किया। इस काम में उनके परिवार ने भी पूरा सहयोग किया। आज नेहा यादव खंडवा ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में अपनी पहचान बना चुकी है। नेहा ने बताया कि मैं जब 6th क्लास में थी। तब दहेज के लिए मेरी मौसी का जलाकर मार दिया गया। उस दिन ही अपने आप को सशक्त करने का मकसद पाल लिया था। नेहा को वीरांगना पुरस्कार, झलकारी बाई पुरस्कार और टीचर्स वॉरियर्स अवॉर्ड भी मिल चुका है। 



बाहड़ों की पहचान बदल रही महिलाएं: चम्बल के भिण्ड जिले की एक महिला नीतेश जैन भारतीय संस्कृति की दान की प्रथा को बखूबी आगे बड़ा रही है। वह लोगों को ब्लड डोनेशन के लिए प्रेरित करती है। नीतेश जैन और उनका संगठन अभी तक तीन हजार से ज्यादा यूनिट ब्लड डोनेट कर हजारों लोगो की जान बचा चुका है। नीतेश भिण्ड से लेकर दिल्ली तक इमरजेंसी में लोगों को ब्लड उपलब्ध कराती है। नीतेश का संगठन है नवजीव सहायतार्थ। इस संगठन से अलग-अलग शहरों और गांवों के करीब 700 लोग जुड़े चुके हैं। जब किसी को ब्लड की जरूरत पड़ती तो ग्रुप के लोग तुरंत मदद करते हैं। 




भिंड

भिंड की नीतेश जैन।




नीतेश भिंड के मेला ग्राउंड में रहती है। उन्होंने बताया कि वह अपने बच्चे को टीका लगवाने के लिए अस्पताल गई थी। यहां एक महिला की डिलेवरी होने थी। लेकिन ब्लड उपलब्ध नहीं होने की वजह से महिला को भिंड से ग्वालियर रेफर किया गया। दूसरे दिन अखबार में देखा कि ब्लड की कमी के चलते जच्चा और बच्चा की ग्वालियर ले जाते समय मौत हो गई। खबर को पढ़ने के बाद नीतेश ने प्रण लिया कि वह भिण्ड में ब्लड की कमी से किसी को मरने नहीं देगी। इसी प्रण के साथ उन्होंने नवजीवन सहायतार्थ संगठन की नींव रखी। नीतेश के इस काम के लिए प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान भी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं। 




बुरहानपुर में महिलाओं का सम्मान।

बुरहानपुर में महिलाओं का सम्मान।




बुरहानपुर में टैक्स वसूलेंगी महिलाएं: BJP की प्रदेश प्रवक्ता अर्चना चिटनीस ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके अवसर पर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का स्वागत सम्मान किया। इस मौके पर बुरहानपुर में एक खास शुरूआत की गई। यहां की महिलाएं जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत गांव-गांव में नलों के टैक्स की वसूली करेगी। अगर ये मॉडल सफल रहा तो पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। इस काम को करने के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओ द्वारा पंचायत से अनुबंध किया जाएगा। जिसके तहत पंचायत इन्हें टैक्स वसूलने का अधिकार देगी। इससे गांव में टैक्स की वसूली भी समय पर होगी। 


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