MP हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी: खिलाड़ियों को मैदान में दौड़ाए, कोर्ट में नहीं; ये है मामला

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MP हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी: खिलाड़ियों को मैदान में दौड़ाए, कोर्ट में नहीं; ये है मामला

जबलपुर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP Highcourt) ने प्रदेश के खिलाड़ियों से जुड़े एक मामले में 20 नवंबर को तल्ख टिप्पणी की है। हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि 'खिलाड़ियों को कोर्ट में नहीं मैदान में दौड़इए'। साथ ही चीफ जस्टिस रवी मलिमथ (Ravi Malimath) और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला (Vijay kumar shukla) की बेंच ने खेल और युवा कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव एवं खेल संचालक को नोटिस जारी कर पूछा है कि पुरस्कार नियम (prize rules) में प्रावधान होने के बावजूद भी खिलाड़ियों के राष्ट्रीय पदक पर पुरस्कार राशि क्यों नहीं दी गई। कोर्ट ने अनावेदकों को 4 सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिए।

खिलाड़ी कोर्ट में लड़ रहे लड़ाई

हाईकोर्ट में जबलपुर निवासी नेशनल मेडलिस्ट वुशू खिलाड़ी आदिति श्रीवास्तव, आदि श्रीवास्तव एवं वीर सिंह राजपूत की ओर से याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने बताया कि मध्य प्रदेश शासन के राजपत्र 8 मार्च 2019 में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता खिलाड़ी को पुरस्कार तथा राशि देने हेतु नियम बनाए गए हैं। उसे दरकिनार कर जिम्मेदार खेल अधिकारियों द्वारा प्रतिभावन खिलाड़ियों को पुरस्कार राशि नियम विरुद्ध ढंग से कम दी गई और कुछ को प्रदान ही नहीं की।

पुरस्कार नहीं मिलने से खिलाड़ियों में निराशा

पुरस्कार नियम 2019 में वर्णित है कि राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक पर एक लाख, रजत पदक पर 75 हजार, कांस्य पदक पर 50 हजार की प्राइस मनी दी जाएगी। इतनी ही राशि पिछले साल के मेडलिस्ट खिलाड़ियों को खेल विभाग (Sports department) ने प्रदान की गई थी। लेकिन इस साल प्रतिभावान खिलाड़ियों को या तो अत्यंत कम राशि दी गई या कोई भी राशि ही नहीं दी गई। इससे पदक जीतकर प्रदेश का नाम बढ़ाने वाले खिलाड़ियों में निराशा है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है।

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