Jabalpur. सुप्रीम कोर्ट ने महाधिवक्ता कार्यालय और जिला न्यायालय में शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति में आरक्षण का प्रावधान न होने को लेकर सरकार से जवाब-तलब कर लिया है। प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित और जस्टिस रविंद्र भट्ट की युगलपीठ ने इस सिलसिले में मध्यप्रदेश शासन सहित अन्य को नोटिस जारी किए हैं। मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।
ये मामला ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन की विशेष अनुमति याचिका से संबंधित है। पूर्व में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसके 19 जुलाई को निरस्त होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संतोष पाल, अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह और जोगेंद्र सिंह चौधरी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि मध्यप्रदेश लोकसेवा आरक्षण अधिनियम 1994 में दी गई परिभाषा के अनुसार शासकीय अधिवक्ता का पद लोकसेवा पद की श्रेणी में आता है। महाधिवक्ता कार्यालय व जिला न्यायालयों में स्थापित जिला लोक अभियोजन का कार्यालय शासकीय कार्यालय की परिभाषा में आता है, इसलिए समस्त शासकीय अधिवक्ताओं सहित महाधिवक्ता कार्यालयों में की जाने वाली नियुक्तियों में आरक्षण अधिनियम 1994 के प्रावधान लागू होने चाहिए।
सुको में बहस के दौरान तर्क दिया गया कि हाईकोर्ट ने जनहित याचिका में विद्यमान विधि के सारभूत प्रश्नों को नजरअंदाज करते हुए उसे निरस्त कर दिया था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के जिन निर्णयों को उल्लेखित किया है, वे इस याचिका की विषय-वस्तु से भिन्न हैं। आजादी के बाद से आज तक मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक भी अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति का कोई भी व्यक्ति हाईकोर्ट जज नियुक्त नहीं किया गया है। इसका मुख्य कारण यही है कि 1956 से आज तक शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्तियों में आरक्षण के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है। विगत 35 वर्षों में 65 हाईकोर्ट जज वे रहे हैं, जो पूर्व में महाधिवक्ता कार्यालय में कार्य कर चुके थे। सुप्रीम कोर्ट में उक्त तर्कों के समर्थन में शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्तियों की अधिसूचनाएं भी प्रस्तुत की गई। शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्तियों के पूर्व न तो पदों का विज्ञापन किया जाता है और न ही आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं, बल्कि महाधिवक्ता कार्यालयों में अपने चहेतों को नियमों को ताक पर रखते हुए नियुक्ति दे दी जाती है। पंजान ने हाल ही में आरक्षण की अधिसूचना जारी की है।