GWALIOR: ग्वालियर की जिला पंचायत ने देश -प्रदेश को दिए हैं सांसद,विधायक और मंत्री

author-image
Dev Shrimali
एडिट
New Update
GWALIOR: ग्वालियर की जिला पंचायत ने देश -प्रदेश को  दिए हैं सांसद,विधायक और मंत्री

GWALIOR News. पंचायती राज के तहत होने वाले त्रिस्तरीय चुनाव के बाद जीते हुए लोगों का वजूद भले ही एमएलए और एमपी जैसा अधिकार सम्पन्न और प्रभावशाली न हो लेकिन सियासत की शिक्षा व्यवस्था के लिहाज से व्यक्ति के भविष्य की सियासी बगिया में फलने फूलने का रास्ता यही से होकर जाता है। यही से सियासी ककहरा सीखकर नेता भविष्य की प्रभावी राजनीति में अपने कद और पद का विस्तार करते हैं। ग्वालियर की जिला पंचायत ने भी जिले को अनेक नेता दिए हैं जिनमे से कुछ तो सांसद, विधायक ही नही केबिनेट मंत्री तक के ऊंचे ओहदे तक पहुंचे।





यहीं से खुलता है बड़ी चुनावी राजनीति का द्वार





 ग्वालियर जिला पंचायत मध्य प्रदेश की छोटी जिला पंचायतों में। शामिल है क्योंकि ग्वालियर जिले का ज्यादातर हिस्सा शहरी क्षेत्र में है लिहाजा वे सब नगर निगम सीमा में है । इसलिये ग्वालियर जिला पंचायत में सिर्फ 13 वार्ड ही है । और इन वार्ड में जीते सदस्य ही अपने में से जिला पंचायत का अध्यक्ष चुनते है। कहने को तो जिला पंचायत के अध्यक्ष को कोई खास अधिकार नही दिए गए हैं लेकिन इसके बावजूद जिला पंचायत का सदस्य बनने के लिए बड़ी कशमकश रहती है और काफी धन व्यय करना पड़ता है इसकी बजह है यहां से आगे की चुनावी राजनीति का द्वार खुलता है। बड़े - बड़े नेता भी इनके उम्मीदवारों पर कड़ी निगाह रखते है और उनकी राजनीतिक क्षमता का आकलन कर आगे के लिए उन्हें



.के दायित्व सौंपते है।





बड़े- बड़े नेता रह चुके है सदस्य





 ग्वालियर जिला पंचायत में भले ही महज तेरह सदस्य चुने जाते हो लेकिन इससे जीतकर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करने वालों में से अनेक राजनीति की ऊंची उड़ानें भी भर चुके हैं । इनमे से एक है राम सेवक गुर्जर बाबू जी। उन्होंने अपनी राजनीति जिला पंचायत सदस्य के रूप में शुरू की । अपनी शानदार जीत से वे कांग्रेस के आला नेताओं की नजर में आये । इसके चलते कांग्रेस ने उन्हें डबरा विधानसभा क्षेत्र से एमएलए का टिकट दिया । वे वर्तमान गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा से मामूली अंतर से चुनाव हार गए । लेकिन उन्होंने अपनी चुनावी शैली और मतदाताओं में पकड़ साबित कर दी कि कुछ महीनों बाद ही कांग्रेस ने उन्हें लोकसभा का उम्मीदवार बनाया । उन्होंने बजरंग दल के फायरब्रांड नेता और सांसद जयभान सिंह पवैया को हराकर शानदार जीत हासिल की । 2018 के चुनाव में भी कांग्रेस ने उन्हें ग्वालियर ग्रामीण सीट से विधानसभा का टिकट दिया लेकिन वे जीतने में सफल नही हुए।





 इमरती देवी सुमन भी प्रदेश की राजनीति को ग्वालियर जिला पंचायत की ही देन है। नब्बे के दशक में उन्होंने कांग्रेस के समर्थन से जिला पंचायत का चुनाव लड़ा और जीता तो अगली बार उन्हें डबरा सुरक्षित सीट से प्रत्याशी बनाया गया। वे लगातार तीन चुनाव रिकॉर्ड मतों से जीतती रहीं । इस बीच कांग्रेस ने उन्हें भिण्ड - दतिया सीट से प्रत्याशी भी बनाया हालांकि वे चुनाव हार गईं। लंबे अरसे बाद प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी तो उन्हें केबिनेट मंत्री बनाकर महिला एवं बाल विकास विभाग सौंपा गया लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब कमलनाथ सरकार गिराई तो इमरती ने भी विधायक पड़ से इस्तीफा दिया और सिंधिया के साथ बीजेपी जॉइन कर ली । इसके बाद हुए उप चुनाव में वे डबरा से ही बीजेपी के टिकट पर लड़ी लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा । हालांकि सिंधिया ने इसके बावजूद उन्हें मप्र राज्य लघु उद्योग निगम का चेयरमैन बनवाकर केबिनेट मंत्री का दर्जा दिलवा दिया।





इसके अलावा जिला पंचायत के सदस्य और अध्यक्ष रहे काँग्रेस के प्रमुख नेता रहे रामवरण सिंह गुर्जर भी कांग्रेस से एमएलए रहे । हालांकि अब वे सिंधिया के साथ बीजेपी में हैं।



politics राजनीति सियासत influential Panchayati Raj पंचायती राज Three-tier Election Right त्रिस्तरीय चुनाव अधिकार प्रभावशाली