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भोपाल। मध्य प्रदेश में महिला बाल विकास के चर्चित मानदेय घोटाले (Mandey Ghotala) में द सूत्र की खबर (The Sootr Impact) का असर हुआ है। इस मामले में 9 अक्टूबर द सूत्र के आंखें खोल देने वाले खुलासे के बाद नींद से जागी सरकार ने करीब 26 करोड़ रुपए के बड़े घोटाले में विभाग के उन अफसरों की भी जांच (Investigation) कराने का निर्णय लिया है, जिन्हें पहले की गई अलग-अलग जांचों में हाथ काले होने के बाद भी क्लीनचिट (Clean Chit) दे दी गई थी। आर्थिक गड़बड़ी का ठीकरा छोटे अधिकारी और कर्मचारियों पर फोड़ते हुए गुनाह में शामिल बड़े अफसरों (Officers) को बख्श दिया गया। अब ऐसे सभी आरोपी अफसरों की नए सिरे से जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई गई है। समिति ने आरोपी अफसरों की जांच शुरू कर दी है।
जांच में शिकायत को ही फर्जी बताकर गुनहगारों को दी क्लीनचिट
आंगनबाड़ी सहायिका और कार्यकर्ताओं के मानदेय के महाघोटाले (Big Scam) में अब उन अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू हो गई है, जिन्होंने पहले मामले की जांच करते हुए दोषियों को क्लीनचिट दे दी थी। मध्यप्रदेश के महालेखाकार (AGMP) की रिपोर्ट के बाद इस पूरे मामले की सिलसिलेवार तरीके से जांच हुई। निचले स्तर के कई कर्मचारियों पर तो कार्रवाई की गई, लेकिन बड़े अफसरों पर मेहरबानी करते हुए उन्हें बख्श दिया गया।
एजी की रिपोर्ट से पहले ही विभाग ने इस मामले की जांच का जिम्मा महिला बाल विकास विभाग की संभागीय संयुक्त संचालक स्वर्णिमा शुक्ला, उप संचालक ज्योति श्रीवास्तव और वित्त सलाहकार राजकुमार त्रिपाठी को सौंपा था। इन अफसरों ने सतही जांचकर मामले को निराधार और फर्जी बताकर दोषियों को क्लीनचिट दे दी थी।
दोषियों को क्लीनचिट देने वाले अफसरों की भी जांच होगी
दोषियों को क्लीनचिट देकर उन्हें बचाने की कोशिश करने वाले संबंधित अधिकारियों के खिलाफ जांच करने के लिए अब तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। इस टीम में अपर संचालक आरपी रमनवाल, प्रभारी वित्तीय सलाहकार एनपी जोशी और सहायक संचालक सुबोध गर्ग शामिल हैं। जल्द ही ये टीम अपनी जांच रिपोर्ट सौंपनी वाली है।
क्या है पूरा मामला?
राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के 14 जिलों की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं (Aganbadi Workers) के मानदेय (Mandey Ghotala) की 26 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि महिला एवं बाल विकास विभाग (WCD) के कंप्यूटर ऑपरेटर्स समेत 94 लोगों के निजी खातों में डालकर गबन की गई है। 3 साल पहले इस मामले का खुलासा हुआ था। अब तक इस मामले की जांच अधर में है। विभागीय अधिकारी ने जब जांच के नाम पर खानापूर्ति की तो मामले की जांच AGMP ने की। इसके बाद भोपाल के जहांगीराबाद थाने में 94 लोगों के खिलाफ FIR की गई। हैरानी की बात है कि पुलिस ने अभी तक संबंधित आरोपियों से पूछताछ भी शुरू नहीं की है।
द सूत्र ने खास पड़ताल में किया था अफसरों की मिलीभगत का खुलासा
द सूत्र ने हाल ही में अपनी खास पड़ताल के जरिए इस बड़े घोटाले का खुलासा किया था। इस खबर के बाद ही नींद से जागी सरकार ने नए सिरे से एक संयुक्त टीम गठित कर विभाग के उन अफसरों की भूमिका का जांच कराने का फैसला लिया है, जिन्हें पहले कराई गई जांच में क्लीनचिट दे दी गई थी।
स्वर्णिमा शुक्ला और राजकुमार त्रिपाठी से बात करने की कोशिश की थी तो उन्होंने आधिकारिक तौर पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया था। लेकिन अनौपचारिक बातचीत करने के लिए तैयार हो गए थे। द सूत्र ने दोनों अधिकारियों का स्टिंग ऑपरेशन कर यह सच उजागर किया था कि पूर्व में की गई विभागीय जांच में सभी आरोप सही साबित हुए थे, लेकिन ऊपर से दबाव के चलते जांच रिपोर्ट में शिकायत को ही निराधार साबित कर दिया गया।