Jabalpur. जबलपुर में संभाग के कई जिलों का करीब 1 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा यूरिया गायब होने के मामले में फिलहाल पुलिस को मुख्य आरोपी ट्रांसपोर्टर द्वारका की तलाश है। वहीं अपर सत्र न्यायाधीश सोम पांडे की अदालत ने इस मामले में कृषक भारतीय कोआपरेटिव कंपनी के स्टेट मैनेजर जयप्रकाश और जूनियर क्षेत्रीय अधिकारी शुभम बिरला की जमानत अर्जियों को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा है कि यह मामला गंभीर प्रकृति का है, इसमें जांच बेहद आवश्यक है। आवेदकों को जमानत दिए जाने से जांच प्रभावित हो सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसानों को उचित दाम पर यूरिया उपलब्ध कराना सरकार की कल्याणकारी योजना है। किसान देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और उनके साथ धोखा उचित नहीं है। इससे केवल किसानों ही नहीं पूरे समाज पर प्रभाव पड़ेगा।
लापता यूरिया का अब भी पता लगा रही पुलिस
किसानों के हिस्से के 1020 मीट्रिक टन यूरिया जो कि सरकारी संस्थानों को पहुंचना था, उसे गायब करते हुए मुनाफाखोरी के लिए निजी एजेंसियों को बेचा गया है। इस मामले में आवेदकों के खिलाफ लार्डगंज थाने में प्रकरण पंजीबद्ध हुआ है। पुलिस ने आरोपियों को 12 सितंबर को गिरफ्तार कर लिया था। वहीं आवेदकों की ओर से यह दलील दी गई थी कि वे निर्दोष हैं और राजनैतिक दबाव के चलते उन्हें फंसाया गया है।
राज्य शासन के अलावा आपत्तिकर्ता मनीष गुप्ता, रूप सिंह, सौरभ जैन व अन्य की ओर से अधिवक्ता संतोष आनंद ने जमानत अर्जी का विरोध किया। दलील दी गई कि आवेदक प्रभावशाली हैं और इनकी संस्था पूरे देश में कार्यरत है, इसलिए किसी अन्य जिले से यूरिया लाकर इस मामले को खत्म करने की कोशिश की जा सकती है। यह दलील भी दी गई कि यह एक बड़ा यूरिया घोटाला है। देश की 75 फीसद जनसंख्या कृषि पर आधारित है, ऐसे में किसानों को यूरिया न मिलने से पूरा देश प्रभावित होगा। सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने जमानत अर्जियां निरस्त कर दीं।