संजय गुप्ता,Indore.मप्र की आर्थिक राजधानी इंदौर में अगस्त 2020 में 12 इंच बारिश हुई और सड़कों पर सैलाब बह निकला, पूरा शहर डूब गया,तब अधिकारी बचाव में आए कि इतनी बारिश में तो कोई भी शहर यह नहीं झेल सकता। बात आई-गई, लेकिन इसके बाद तो ये हर साल का मामला हो गया। एक साथ दो-तीन इंच बारिश हुई और शहर की सड़कें तालाब बन गईं। मंगलवार-बुधवार रात को हुई साढे़ चार इंच की बारिश ने सड़कों को फिर तालाब बना दिया। बहाव इतना तेज था कि सड़कों पर कारें बह गई। पूर्व विधायक और बीजेपी नेता गोपीकृष्ण नेमा ने आरोप लगाते हुए कहा कि यह सभी अधिकारियों की गलती है। ढाई साल से निगम में नेता,जनप्रतिनिधि नहीं है और केवल अधिकारी ही चला रहे हैं। उन्होंने पूरे समय मनमानी की। शहर की भौगोलिक स्थिति देखे बिना ही सीवरेज लाइन डाली गई, नाला टेपिंग की गई इसके कारण ये हाल हुए लेकिन बड़ा सवाल यह भी है कि निगम में भले ही नेता नहीं थे लेकिन शहर में तो थे, प्रदेश में तो बीजेपी सरकार ही थी,फिर भी वह चुप क्यों रहे?
तीन हजार करोड़ हो चुके हैं अभी तक खर्च
समाजसेवी और निगम के खिलाफ कोर्ट में वैधानिक लड़ाई लड़ने वाले किशोर कोडवानी ने बताया कि 2006 से अभी तक विविध मदों में सीवेरज लाइन डालने,नाला टेपिंग,नदी सफाई,स्मार्ट सिटी योजना जैसे कई नामों पर शहर में तीन हजार करोड़ से ज्यादा खर्च हो चुके हैं।
क्यों डूब रहा शहर?
आगे कोडवानी ने बताया कि इस शहर की भौगोलिक संरचना को समझे बिना नाला टेपिंग की गई है। नदियों के कैचमेंट एरिया में आने वाले पानी को पाइपों के जरिए मोड़ने की कोशिश हुई,पाइपों में अब नदियों के पानी को ले जाने की कोशिश करोगे तो फेल होना तय है। नदियों को नाला मान लिया,जब कैचमेंट एरिया में पानी आएगा तो वह कान्ह,सरस्वती में ही जाएगा,लेकिन नाला टेपिंग के नाम पर इस कैचमेंट पानी को इनमें जाने से रोका गया। इसके चलते यह पानी सीवेरज लाइन,पाइपों में नहीं समाया और सड़कों पर जमा हो रहा है। इंदौर पश्चिमी क्षेत्र ऊंचाई पर है और पूर्वी नीचे,नदियों,नालों का प्राकृतिक बहाव इसी ओर है लेकिन इसे मोड़ा गया,नाला टेपिंग से रोक दिया गया।
इतने आउटफाल कर दिए बंद
वाटर प्लस के तहत अवार्ड लेने के लिए साल 2019-20 में तेजी से नाला टेपिंग का काम हुआ। 300 करोड़ के इस प्रोजेक्ट में 5780 आउटफाल्स बंद किए गए पानी लाकर कान्ह,सरस्वती में डाल रहे थे। 27 नालों के पानी को भी रोक दिया गया अब यह ऊफन कर सड़कों पर आ जाते हैं।
शहर में स्टार्म वाटर लाइन ही नहीं
शहर में करीब 1800 किमी लंबी स्टार्म वाटर लाइन की जरूरत है,जो सड़कों पर जमे पानी को निकालकर बाहर ले जाए, लेकिन पांच साल में केवल 300 किमी की ही लाइन डाली। इस हिसाब से पूरे शहर में लाइन डालने में 30 साल लगेंगे।
क्या बोल रहे हैं महापौर
नवनिर्वाचित महापौर पुष्यमित्र भार्गव भले ही शहर में सालों से रहते आए हैं लेकिन अभी फिलहाल शहर और निगम को समझने की कोशिश कर रहे हैं। वह जोनवार समीक्षा कर,आगे काम करने की बात कह रहे हैं। स्टार्म वाटर लाइन डालने के काम और चौक सीवेरज लाइन को साफ करने की बात कह रहे हैं। वहीं कोडवानी आरोप लगा रहै हैं कि भार्गव ने हमेशा ही सरकारी वकील होकर जनता के खिलाफ ही शासन और अधिकारियों का साथ दिया है। अब वह जनप्रतिनिधि होने के नाते जनता का साथ कैसे देते हैं, यह देखना होगा नहीं तो मेरी सीधी लडाई उन्हें से होगी और जनता को जवाब देना होगा।