Raisen : चिकलोद में कैचमेंट पर खेती के लिए दो सालों से 305 एकड़ के तालाब को खाली करने की कोशिश

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Rahul Sharma
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Raisen : चिकलोद में कैचमेंट पर खेती के लिए दो सालों से 305 एकड़ के तालाब को खाली करने की कोशिश

Bhopal/Raisen. भोपाल नवाब समय के तालाब पर दबंगों की नजर पड़ गई है। तालाब के कैचमेंट पर खेती करने के लिए ये दबंग दो साल से नहर से पानी छोड़कर तालाब को पूरी तरह से खाली करने की कोशिश में लगे हुए हैं। रायसेन जिले के चिकलोद में भोपाल नवाब समय का एक बड़ा तालाब है। यह तालाब करीब 305 एकड़ के आसपास फैला हुआ है। वैसे तो यहां सालभर ही पानी भरा रहता है, लेकिन बीते दो सालों से इस तालाब के कैचमेंट पर खेती के लिए बिना जरूरत के भी तालाब से नहर के माध्यम से पानी छोड़ दिया जाता है। तालाब के कारण न केवल चिकलोद बल्कि आसपास के इलाके में भी जलस्तर काफी अच्छा है, बावजूद इसके दबंगों के इन मंसूबों पर अब तक प्रशासन लगाम लगाने में फेल ही साबित हुआ है।





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इस तालाब से नहीं होती है खेतों की सिंचाई





खास बात यह है कि इस तालाब से खेंतों की सिंचाई नहीं होती है। ग्रामीणों ने बताया कि तालाब के नीचे की ओर सिंचाई विभाग का एक छोटा डेम है, जिससे आसपास के खेतों के लिए पानी भेजा जाता है। यदि किसी वजह से डेम में पानी कम हो जाए तब ही इस तालाब से सिंचाई के लिए पानी लिया जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि इस तालाब का उपयोग पानी के लिए नवाब समय के ही एक फार्म के लिए होता है। इसके अलावा तालाब से जो भी पानी छोड़ा जाता है, वह 6 किमी बाद बेतवा नदी में जाकर मिल जाता है।







1948 में नवाब ने मछुआरों को 99 साल की लीज पर दिए थे पट्टे





तालाब में मछलीपालन और उसके शिकार के लिए भोपाल नवाब ने 2 फरवरी 1948 को स्थानीय मधुआरों को 99 साल की लीज पर पट्टे दे दिए थे, ताकि ये मधुआरे यहां मछलीपालन और उसके शिकार से अपना जीवन यापन कर सके। शरायत लीज के डाक्यूमेंट पर समल नस्ल की मछली शुक्रवार, शनिवार और रविवार को भोपाल के शोकत महल, सुलतानी शामला कोठी पर मछुआरों द्वारा पहुंचाने की बात लिखी गई है। इस नस्ल की मछली का उपयोग करना उस दौरान मछुआरों के लिए निषेध था।







200 मछुआरे परिवार के सामने रोजी रोटी का संकट





दो सालों से तालाब से बिना वजह पानी छोड़ने से तालाब खाली हो रहा है। जिससे यहां मछलियां मर रही है। चिकलोद के 200 मछुआरे परिवारों के जीवनयापन का बस यही एक जरिया है। ग्रामीणों ने बताया कि अधिकारियों से लगातार शिकायत करनें के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है, जिसके कारण कई महिलाएं अब परिवार पालने के लिए मजदूरी भी करने लगी है।







मंत्री बोले...हमारा नहीं राजस्व का है तालाब





अपने सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा देख 2 अगस्त, मंगलवार को दो बसों से दर्जनों मछुआरे चिकलोद से भोपाल पहुंचे। यहां उन्होंने जल संसाधन और मछुआ कल्याण मंत्री तुलसीराम सिलावट से मुलाकात कर अपनी समस्याएं बताई। जब इस मामले में द सूत्र ने मंत्री तुलसी सिलावट से बात की तो उन्होंने कहा कि यह हमारा नहीं बल्कि राजस्व का तालाब है, फिर भी हमने कलेक्टर से बात की है, वह कल ही नहर का बंद करा देंगे।   



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