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BHOPAL. कलेक्टर (Collector) जितनी ज्यादा सरकारी जमीन (Government Land) बेचेंगे, उन्हें उतना ज्यादा फंड मिलेगा। सरकार ने इसके लिए लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन जिला प्रोत्साहन योजना (Public Asset Management District Incentive Scheme) लागू की है। सरकार ने इस योजना के नियम भी लागू कर दिए हैं। इसके अनुसार जो कलेक्टर जितनी ज्यादा दरों पर सरकारी संपत्ति की निलामी करवाएंगे, उस जिले को कुल राशि में से 25 प्रतिशत राशि इन्फ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure) यानी सड़क, पेयजल, पुल सहित अन्य कामों के लिए मिलेगी।
आदेश की कॉपी- http://govtpressmp.nic.in/pdf/extra/2022-06-21-Ex-332.pdf
मप्र सरकार के पास 900 करोड़ का अतिरिक्त फंड होगा
सरकारी सम्पत्ति बेचने के बाद पूरा पैसा सरकार के खजाने में जमा होगा। इसके बाद उस राशि में से 25 प्रतिशत राशि संबंधित जिले को दी जाएगी। ये पैसा बजट के अतिरिक्त होगा, यानी उस जिले में ज्यादा विकास के काम हो सकेंगे।
सरकार ने खुर्द-बुर्द हो रही सरकारी जमीनों और भवनों को अतिक्रमण से बचाने के लिए लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग का गठन किया है। ये विभाग कलेक्टर्स के माध्यम से जिले में अनुपयोगी पड़ी जमीन को चिन्हित कर निलामी करता हैं। अब तक प्रदेश में 600 करोड़ रुपए की प्रोपर्टी, जिनमें बस स्टैण्ड, पुरानी जेल सहित अन्य अनुपयोगी सरकारी कार्यालय के भवन और जमीनें बेची हैं। केन्द्रीय नीति अयोग के अनुसार राज्य सरकार जितनी रााशि की सरकारी अनुपयोगी जमीन बेचेगी, उसकी आधी राशि केन्द्र सरकार बिना ब्याज के राज्य को देगा। इसके चलते राज्य सरकार ने केन्द्र को 600 करोड़ रुपए की नीलाम की संपत्ति की जानकारी भेज दी है। ऐसे में अब केन्द्र सरकार मध्यप्रदेश को 50 साल के लिए 300 करोड़ रुपए बिना ब्याज के देगा, जो आसान किश्तों में चुकाना होंगे। ऐसे में मप्र सरकार के पास 900 करोड़ का अतिरिक्त फंड की व्यवस्था हो जाएगी।
प्रभारी मंत्री की सहमति जरूरी
सरकारी प्रोपर्टी बेचने के बाद जिलों को मिलने वाली राशि को किस इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए खर्च किया जाए, इसका फैसला हर जिले के प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता वाली समिति तय करेगी। इस समिति में कलेक्टर को उपाध्यक्ष बनाया गया है।