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Jabalpur. परियट नदी में मगरमच्छों के प्राकृतिक निवास के मद्देनजर वर्ल्ड बैंक की मदद से केंद्र सरकार ने साल 2011 में यूएनडीपी प्रोजेक्ट के तहत मगरों के संरक्षण के लिए राशि स्वीकृत की थी, इस राशि का व्यय स्थानीय वन विभाग को करना था। निर्देशों के तहत परियट नदी से लगे 11 गांवों को कम्युनिटी क्रोकोडायल रिजर्व में शामिल करते हुए नदी के किनारे फेंसिंग कराई गई थी, लेकिन समय बीतने के साथ मगरमच्छों के संरक्षण को लेकर वन विभाग उदासीन रवैया अपनाए हुए है। इसलिए इलाके के वन्यप्राणी प्रेमियों ने पीसीएफ भोपाल को चिट्ठी लिखकर इस ओर ध्यान दिलाया है।
हिसाब-किताब में उलझ गया फंड
दरअसल परियट नदी के किनारे फेंसिंग कराने का मुख्य उद्देश्य यह था कि मगर नदी से निकलकर आबादी वाले क्षेत्रों में न जा पाएं। लेकिन प्रोजेक्ट के तहत मिली पहली किश्त की राशि के हिसाब किताब में ही इतनी उलझनें खड़ी हो गईं कि विश्व बैंक से प्रोजेक्ट के लिए आगे राशि ही नहीं मिली। जिससे इस रिजर्व को मूर्त रूप देने का काम धरा का धरा रह गया।
आबादी के बीच अंडे दे रहे मगरमच्छ
इस साल पहली बार ऐसा हुआ है कि मगरमच्छों ने अपने अंडे देने के लिए आबादी के पास वाले क्षेत्र चुने हैं। जानकारों का मानना है कि बात साफ है कि नदी के आसपास मगरमच्छों के बीच संघर्ष होना शुरू हो गया है। वन्यप्राणी विशेषज्ञ और कम्युनिटी क्रोकोडायल रिजर्व योजना के तहत मगरमच्छों के रेस्क्यू के लिए विशेष प्रशिक्षण पाने वाले शंकरेंदु नाथ ने बताया कि मगरमच्छों की आबादी तो बढ़ ही रही है। वहीं मगरमच्छ के बच्चे नालियों के सहारे आबादी वाले क्षेत्रों में आने लगे हैं। यह उनके संरक्षण को लेकर चिंतनीय विषय है। आबादी वाले क्षेत्रों में मगर के बच्चों को मारा जा सकता है। नाथ ने इस संबंध में राज्य शासन को ठोस प्लानिंग बनाने की जरूरत पर बल दिया है।