भोपाल. शिवराज सरकार ने दावा किया था कि मध्यप्रदेश में कोरोना से बचाव के लिए घर-घर जाकर आयुष काढ़ा बांटा गया था। 18 अगस्त को द सूत्र ने खबर दिखाई थी कि काढ़ा बांटने में खासी कोताही हुई। लिस्ट में कई नाम ऐसे थे, जिन्हें काढ़ा मिला ही नहीं। खबर दिखाने के एक दिन बाद सरकार ने खबर का खंडन किया है। मध्यप्रदेश के जनसंपर्क विभाग ने कहा है कि मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया है। सवाल यह है कि अगर सरकार ने जांच समिति का गठन किया है तो ऐसे में खबर के खंडन की जरूरत ही नहीं रह जाती।
हमारी टीम ने क्या किया?
जमीनी हकीकत जानने से पहले द सूत्र की टीम ने सूचना के अधिकार के तहत आयुष विभाग से जानकारी मांगी कि भोपाल जिले में कितने लोगों को आयुर्वेदिक काढ़ा बांटा गया। जो जानकारी मिली उसके मुताबिक भोपाल जिले में 2 लाख लोगों को काढ़ा बांटा गया। सूचना के अधिकार के तहत 2 हजार पेज के दस्तावेज द सूत्र को मिले। इन दस्तावेजों में दर्ज नाम के आधार पर द सूत्र की टीम ने तहकीकात करने का फैसला लिया।
भोपाल के कई इलाकों में गई टीम
द सूत्र की टीम ने भोपाल के कई इलाकों में तहकीकात की। भीम नगर में रहने वाले कामत गिरी द्विवेदी ने कहा कि उन्हें काढ़ा मिला ही नहीं। पंचशील नगर में रहने वाली सरस्वती पाटोले ने भी यही कहा कि पिछले साल ना तो कोई काढे़ के पैकेट बांटने आया और ना ही उन्हें किसी तरह का काढ़ा मिला। कोलार इलाके में रहने वाले मालनसिंह मालवी को कोई काढ़ा नहीं मिला। कोलार के ही सर्वधर्म में रहने वाले और टाइल्स का काम करने वाले रामप्यारे राजवीर ने बताया कि पहली लहर के दौरान वो तीन महीने से घर में ही थे, लेकिन काढ़ा बांटने कोई नहीं आया।